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________________ दिया। बिठा तो दिया, पर वे सोच रहे थे कि कालूगणी क्या कहेंगे? प्रबधन-श्रवण और वार्तालाप के बाद रेजिडेंट साहब को विदा कर वे कालूगणी के पास आकर विनम्रता से बोले-'गुरुदेव! आज तो एक भूल हो गई।' गुरुदेव उनकी भावना को समझकर बोले-'बगत देख नहीं वरतै बो बाणियो गिंवार'-इसमें भूल की क्या बात है? अवसर देखकर काम करने वाला ही समझदार होता है। चंपालालजी का चातुर्य लोगों के सामने आया और वे अपने गुरुदेव के कृपाशब्द पाकर कृतार्थ हो गए। २८. दोपहर का समय था। धूप तेज थी। एक खरगोश अखरोट के वृक्ष के नीचे सो रहा था। ठण्डी हवा चली और उसे नींद आ गई। हवा के झोंके से एक अखरोट टूटा और खरगोश पर गिर पड़ा। वह अचानक नींद से जगा और दौड़ा। मार्ग में उसे एक लोमड़ी मिली। उसने पूछा-'खरगोश भैया! आज कहां दौड़े जा रहे हो? क्या किसी दावत में आमंत्रण मिला है?' खरगोश घबराया हुआ-सा बोला-'मौसी! तुझे दावत सूझ रही है और मेरी जान पर आ बनी है। क्या तुझे पता नहीं है आज आसमान टूट पड़ा है।' लोमड़ी ने यह बात सुनी और वह भी उसके साथ दौड़ने लगी। रास्ते में गीदड़ मिला, भालू मिला और भी कई पशु मिले। सबने दौड़ने का कारण पूछा और दौड़नेवालों ने आकाश टूटकर गिरने की बात कही। न कोई कारण और न कोई परिणाम। फिर भी सबके मुंह में एक ही बात-'आकाश टूट पड़ा है, आकाश टूट पड़ा है।' जंगल का पूरा वातावरण भयाक्रांत हो गया। चारों ओर पशुओं की भय-मिश्रित आवाज और भगदड़। किसी ने भी यह पूछने का साहस नहीं किया कि आकाश कहां पड़ा? कैसे पड़ा और उससे क्या हुआ? स्थिति यहां तक बनी कि जंगल का राजा सिंह भी उस अफवाह से प्रभावित हो गया। २६. तेरापंथ संघ में बहु प्रचलित 'बीस बिहरमाण' का यह गीत आचार्यश्री भिक्षु के समय की रचना है। रचनाकार ने अपने नाम का उल्लेख नहीं किया है, पर समय की सूचना दी है। यह गीत काफी बड़ा है। कालूगणी इसके जिन पद्यों का संगान बहुधा करते थे, यहां उन्हीं पद्यों को उद्धृत किया जा रहा है। इसके गीतकार हैं मुनिश्री हेमराजजी। बीस बिहरमण सदा शाश्वता, जघन्य पदे परिमाणं, सौ साठ नै नित-नित नमिये उत्कृष्टे पद आणं। भवियण णमो अरिहंताणं, णमो सिद्ध निरवाणं, २८६ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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