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________________ ५१. अशरण-शरण अबंधव-बंधव निरधन-धन जननाथ। गणनायक असहाय-सहायक त्रायक तीरथ-तात।। ५२. निजानन्द निर्णायक निरुपम उपमा यदि उपमाय। पुरुषोत्तम बिन तुलना तिणरी किण स्यूं कीधी जाय।। ५३. गण-गौरव विशिष्ट घटना रो कीन्हो अंकित हाल। श्री श्रीकालूयशोविलासे दूजी शिखा विशाल ।। शिखा-३. दोहा १. श्री कालू शासण-समय, जो संघीय विकास। __ अद्भुत और अपूर्व है, पढ़ो सुणो सोल्लास।। २. दीक्षा-शिक्षा-श्रृंखला, कला और साहित्य। खुली सहज ही हर दिशा, ले अनुपम लालित्य ।। ३. सात पाट की सम्पदा, धरूं तुला इक अंग। __भारी भरकम ही रहै, अष्टम-पट्ट-प्रसंग।। ४. वर्तमान युग-पद्धती, समझ्या श्रमणी-संत। श्री कालू री प्रेरणा, ओ उपकार अनंत ।। ५. सबल सारणा-वारणा, प्रोत्साहन प्रतिरोध। दिखा आंख की लालिमा, दियो शांत संबोध ।। ६. द्रवित विनय-नत हो चल्या, पंडित पत्थर-रूप। सड्या गळ्या सहजे टळ्या, पूज्य-प्रताप अनूप।। ७. मधुर संस्मरण ल्यो लिखू, सार-रूप संक्षेप। उपकारक कारक लखी, निरुपचरित निर्लेप।। भाग्य तेरापंथ रो, सौभाग्य तेरापंथ रो, श्री कालू, श्री कालू-सा गुरु पाया रे, गौरवशाली गणवनमाली वीतराग री छाया रे।। १. लय : राख ना रमकड़ा २४० / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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