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________________ १३. अभयदेव शीलांक मलयगिरि, लक्ष्मिवल्लभाचार्य। ____ आदि रचित आगम री टीका, पढ़ी पूज्य अविकार्य ।। १४. सारस्वत सिद्धांतचंद्रिका, सारकौमुदी नाम। ___इत्यादिक व्याकरण विलोकी, डालिम-पटधर स्वाम।। १५. नेमि पार्श्व पाण्डवचरितादिक, गद्यकाव्य गुरुदेव। प्रातः प्रवचन में फरमाया, वाणी मधुर सुधेव ।। १६. उच्चस्तर आचार-प्रभावे, आकर्षित नर-नार। देश-देश पुर ग्राम-ग्राम में, कीन्हा करुणागार ।। १७. थळी देश री गळी-गळी में, प्रसो संघ-प्रभाव। बाल वृद्ध युव महिलावां में, प्रवर भक्ति रो भाव।। १८. झूले झुलता हंसता-खिलता, उत्संगाश्रित बाल। नयनां निरखत ही गुरुवर नै, वंदै गोडी ढाळ।। १६. सन्तां नै बेरावण ल्यावण, बेठे आड़ो झाल। व्रत निपजावै मोद मनावै, कालू-कृपा विशाल।। २०. मरुधर मेदपाट अरु मालव, हरियाणो पंजाब। शेखाटी ढूंढाड़ प्रदेशां, फेल्यो पूज्य-प्रताब।। २१. सोळह शहरां स्वामी कीन्हा, सत्तबीस चउमास। भक्तां री अभिलाषा पूरी, सूरीश्वर सोल्लास।। २२. संवत उगणीसे अड़सठे, छिहतरे संभार। बंयासिय अठ्यासिय पावस, बीदासर में च्यार।। २३. अब सरदारशहर चौमासा, एक सड़सठे साल। ___चउत्तरे दूजो नय्यासिय तीजो कियो कृपाल।। २४. शहर लाडणूं एक सित्तरे, और छंयासिय धार। चूरू गुणंतरे इक्यासिय, दो-दो पावस सार।। २५. सुजानगढ़ में एक इकोत्तर, बीजो निब्बे न्हाल। ___गंगाशहरे तंय्यासिय, सत्यासिय साल संभाल।। २६. दोय उदेपुर इक बहोत्तरे, दूजो बाणव वर्ष । तिहोत्तरे एकाणव टारी, जोधाणां री तर्ष।। २७. पिचंतरे राजाणे राज्या, सतंतरे हरियाण'। अठंतरे गुरुदेव रतनगढ़, उणियासिय बीकाण।। १. भिवानी
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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