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________________ ३२. च्यार बरस बलि तीव्र तपस्या पाळ्यो संजम पूर्ण समाधी । साल सिताणू म्हांरै सम्मुख संधारे सुर- पदवी साधी ।। ३३. जगदानंदन नंदन कालू त्यूं जननी निज जीवन झोंक्यो । छिनमें बरसां री ऊमर में जाणै जो मानव अवलोक्यो ।। ३४. दो माजी इण रूपे मिलिया ओ पिण गण में प्रथम हि मोको' । छोगांजी वदनांजी राजी इचरजवारी बात विलोको ।। ३५. गुरु संबंधित गुरु-जननी रो वरणन करतां हूंस पुराई । यशोविलासे षष्ठोल्लासे ढाळ सोळमी 'तुलसी' गाई ।। कलश छंद ३६. गणपाल गंगापुर पदार्पण' भिषग भैषज भावनं', युवपद- समर्पण' छट्ठ सायं स्वर्गधाम सिधावनं । वर चरम यात्रा रो विवेचन' साम्यरत मातेश्वरी', उल्लास छट्ठम पाट-अट्ठम अधिप गुण - ग्रथना करी । । उपजाति-वृत्तम् गणाधिपस्यास्य विशाल धैर्यं, दृढव्रतित्वं सुकृतित्वमित्थम् ।। संदर्शयन् स्वान्तबलं च षष्ठोल्लासःसमेतीह समाप्तिमिष्टाम् ।। तेरापंथ के अष्टम आचार्यश्री कालूगणी की विशद धृति, दृढ़ व्रतित्व और सुकृतित्व की अभिव्यक्ति के माध्यम से अपनी क्षमता का प्रदर्शन करता हुआ यह छठा उल्लास अभिलषित संपन्नता पर है। उपसंहृतिः आचार्य-तुलसी-विरचिते श्री - श्रीकालूयशोविलासे १. अत्युग्र-व्याधि-बाधित-करस्यापि श्रीगुरुवर्यस्य चातुर्मासिकीं स्थितिं विधातुं गंगापुरपुरे पदार्पण.... २. आशुकविरत्नायुर्वेदाचार्य-पंडित रघुनन्दन - समर्पित भैषज्य-निषेवन- महत्तोद्योगेनापितदामयानुपशमन- गच्छाधिपगात्रविरह-वृत्तांत-विवर्णन... १. देखें प १ सं. ६७ २३० / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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