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________________ २१. उमट्यो मोद प्रमोद अमित मन, मैं विनवूं गुरुराय ! शुभ करुणा-दृष्टी अमि-वृष्टी क्यूं मुझ घाम सताय । पूज्य चिरायु: पावै रे ।। २२. प्रातः कियो पारणो स्वामी श्रमण-सत्यां पिण साथ, प्रगटी सारां मन प्रसन्नता शुभ-भविष्य-शुरुवातसमझी, मोद मनावै रे ।। २३. म्है जाण्यो मोटै खतरे स्यूं उबत्यो स्वाम- शरीर, चौविहार उपवास-उदधि तर पहुंच्या परलै तीर । अब आरोग्य सुहायै रे ।। देखो भादो छठ संध्या अणतेड़ी नेड़ी आवै रे 1 २४. तीन प्रहर तो बीत्या तिण दिन चोथे रे प्रारंभ, श्वास- उठाव जीव घबराहट जिनशासन रो खंभ । समता रस सरसावै रे ।। २५. मैं पंचमि-समिति स्यूं आयो कर वंदन, विश्राम, बेठ्यो उपासना में गुरुवर- सम्मुख दृग-युग धाम । अमृत रस बरसावै रे ।। २६. पौणी छह बजतां गुरु पूछे कितो बच्यो दिन शेष ? जाच साचवी शीघ्र करुणेश ! पडुत्तर देऊं मैं पैंती मिनट लखायै रे ।। पाणी पीर्ण काज, शक्ति नहीं प्रतिराज ! पोट्र्यां कृपा करावै रे ।। वस्तु नै सूतां पीणी नांय, कीन्हा स्हारो दे मुनिराय । पाणी पी पोढ़ावै रे ।। बढ़गी वेदन बेअंदाज, मन में धीमै सी बैठायो करी प्रार्थना - आज विराजण २७. फरमावै - मुझ २८. गणिवर भाखे - तरल तब धीमै-सी बैठा २६. पोढ़त पाण श्वास- गति गहगो साद विषाद न २१४ / कालूयशोविलास-२ आवाज । गुरुवर यूं पूछावै रे ।।
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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