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________________ सात सत्यां दीजे सही, सेवा रो मूल्यांकन करै सुभागी रे, तुलसी ! ४०. अंतरंग गुरु-शिष्य री एकतानता अद्भुत स्मृति सरसावै रे, तुलसी ! कर-स्हारै पोढाविया, छट्ठी ढाळ ढळकती रस बरसावै रे, तुलसी ! ढाळ : ७. दोहा १. सायं पाक्षिक प्रतिक्रमण, मैं करवायो आप । गुरुवर पोट्र्या ही रह्या, समता में चित थाप ।। २. खमतखामणा सकल मुनि, कीन्हा एकण साथ । घंटा भर रै आसरै, बीती है अब रात ।। ३. मगन - प्रार्थना सामयिक, द्यो गुरु! शिक्षा-दान । यद्यपि बेसत बोलतां, होवै कष्ट महान ।। ४. इण बिरियां री सीखड़ी, बड़ी अलौकिक बात । करुणानिधि ! करुणा करो, हे तीरथ रा तात ! ५. तुरत विराज्याभित्तितल, शासण रा सिरदार । उत्तम असुख गिणै नहीं, सम्मुख पर - उपकार ।। ६. सकल श्रमण समुदित मुदित, सुणत उदित आह्वान । बातड़ली तिण रात री, पढ़ो सुणो सुज्ञान ! 'आमावस भादुड़ी हो निशि रूड़ी शिक्षा स्वाम री । खुली चरूड़ी-सी सारां री आंख ।। ७. शीघ्र - शीघ्र सब धाया हो, उलसाया श्रमण सुहावणां, आया आया पाया परम प्रमोद । सामन्त्रण बतलाया हो, गुरुराया संतां! सांभळो, म्हांरै सारै जीवन रो अवबोध ।। १. लय : चंडाली चौकड़ियां हो १६६ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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