________________
३. पूज्य कहै ल्यो मगनजी स्वामी! छीजै देह। ___ सुदी तीज लग गात्र ओ, शायद दे दै छेह।। ४. मिनट-मिनट भारी पड़, पडै न चित में चैन।
निज-कर पद-अर्पण करूं, फिर निचिंत दिन-रैन।। ५. मगन, पूज्यवर! आप हो, कर्तापुरुष प्रधान।
ज्यूं ही धारो त्यूं करो, नहीं कहीं व्यवधान।। ६. पृष्ठभूमिका तीज री, आज करो शुरुवात।
तीज आवती दीखसी. बणसी सहज्यां बात।। ७. जची हृदय गुरुराज के, सचिव-सला साह्लाद । ___अमावसी-मध्याह्न में, मुझनै कीधो याद।। ८. सोमवती मावस मिली, 'विजय मुहूर्त' विशेष।
जद हो सद्गुरु शुभ नजर, हाजर सुदिन हमेश।। ६. चौथमल्ल मुनिवर मनै, आकर कियो सचेत।
आ'र आज जल्दी करो, सद्गुरु रो संकेत।।
'हां रे शासणनायक री, मधुरी-मधुरी बोली प्यारी लागै रे, तुलसी! हां रे बोधविधायक री, सेवा करतां सुप्त भावना जागै रे, तुलसी!
१०. ठीक सवा ग्यारह बज्यां,
बड़बन्धव चंपक मुझ तेड़ण आवै रे, तुलसी! याद फरमावै कोमल साद स्यूं,
श्री गुरुदेव दयालू सहज स्वभावै रे, तुलसी! ११. शीघ्र सहोदर साथ में,
मैं सद्गुरु रा चरण-सरोज जुहारूं रे, तुलसी! नयनानन्दन वंदना,
छोगां-नंदन नै कर रूं-रूं ठारूं रे, तुलसी! १२. परम पूज्य आदेश स्यूं,
बाहिर साझै चंपक चौकीदारी रे, तुलसी!
१. लय : ओयूं १६२ / कालूयशोविलास-२