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२५. बोलै मगन सतोली बोली किण पर? किणविध ध्यान ? गुप्त लेख लिखो या करणो युवपद प्रगट प्रदान? जिण खाह्रै जिण पर शुभ निजऱ्यां होसी सहज स्वभावै।। २६. आप किस्यो नहिं जाणो बरसां स्यूं है जिण पर आंख, थोड़ो सोच-विचार निकेवल नान्ही ऊमर झांक । शेष वेष तो आंक्यो-चांक्यो नहिं कोइ तुलना ठावै ।। २७. बड़ी उमर रो और दूसरो अगर नजर में नेक, हाजर करूं हजूर ! हुकम हो पूर्वक नामोल्लेख । म्है तो इंगित रा आराधक साधकता र दावै ।। २८. नहीं, नहीं है बात और री औरां स्यूं के काम ?
निकट निजर में राख्यो निशदिन छिन छिन 'तुलसी' नाम । केवल वय री बात कही है, नहीं अन्यथा भावै ।। २६. एकादशी उदीयमान तिथि करणो अब अभिषेक,
मगन कहै करणो चाहीजै शुभ मुहूर्त दिन देख । बड़ो काम ओ बड़ां हाथ स्यूं मंगल समय सुहावै ।। ३०. ज्योतिर्विद स्यूं जांच सांचवी शुक्ल तीज दिन सार, पूज्य कहै, है लम्बी बेळां रहसी भारी भार । इक पल रो भी खरो भरोसो इण शरीर रो नांवै ।। ३१. अति आतुरता त्वरता लागी मगन करै आश्वास, प्रबल प्रतापी पुण्यपोरसा म्हांरो दृढ़ विश्वास । उण ही दिन ओ कारज होसी बाधा - विघ्न मिटावै ।। ३२. नीठ-नीठ अधिनायक गण रा मानी मगन - सलाह,
मन निश्चित कियो भाद्रव सुद तीज अडीकै राह । छट्ठे उल्लासे सोल्लासे पंचम ढाळ पुरावै ।।
ढाळः ६.
दोहा
यो वपू बलहीन ।
१. कमजोरी बेहद बढ़ी, स्वयं ऊठणो सोवणो, रुक्यो स्थिती २. दशमी स्यूं एकादशी, बारस तेरस गिणतां - गिणतां एक दिन, चवदस आई
संगीन ।।
भाल ।
चाल ।।
उ.६, ढा. ५, ६ / १६१