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________________ मगनमुनि उवाच ३७. फळो जबान आपरी म्हारो बहम वितथ बण रह ज्यावै. चिरजीवी बण रहो निरामय ईड़ा-पीड़ा टळ ज्यावै। ईं स्यूं बड़ी न बात हरस री रूं-रूं खुशियां छाई है।। ३८. जिती बार दुचिताई मगन जताई सांई सहल गिणी, दिलगीरी दिखलाई तो दृढ़ता की बीच दिवाल चिणी। बिद भादव आठम-नवमी तांई री आ सहनाई है।। चौपई छन्द ३६. मगन एक दिन इण दरम्याने, तेड़ी कहै सकल संतां ने। वेदन-व्यथित-अंग गुरुदेवा, आ अलभ्य अवसर री सेवा।। ४०. पढ़णो-लिखणो कमती-बेसी, जीवन भर होतो ही रेसी। और काम वैयक्तिक सारा, साधारण जीवन की धारा।। ४१. मार्मिक मगन-प्रेरणा जाणी, थोड़ी बात घणी कर माणी। सारा संत सजगता धारी, सेवै सुगुरु परम उपकारी।। ४२. जो ही जिणविध जणां जरूरी, कर उपासना करी सबूरी। सायं प्रात दिवस-रजनी में, खण पहचाणै परम खुशी में।। 'बात सुणो अति विरह री। ४३. अश्विनि बाबू आवियो जांच सांचवी बलि बहु भांत क। नवमी दिन मध्याह्र में अवसर आछो लहि एकांत क।। १. लय : संभव साहिब समरिए उ.६, ढा.४ / १८७
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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