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________________ १८. स्टेट ' झाबुवै' का तदा रे, च्यार एक संघात । बड़ा बड़ा जागीरदार मिल, भेंटै शासणनाथ । । १६. ‘गंगापुर’ स्यूं आविया रे, प्रमुख लोग गुरु गोड । हुकम करो चौमास को रे, विनय करै कर जोड़ । । २०. इतले ब्यावरवासिया रे, सेठ सांखला ख्यात । पावस - हित प्रख्यात ।। भैक्षवशासण - स्वाम । श्रावक वाचंयाम ।। २२. छापो साथे ल्याविया रे, ब्यावर - वासी एक । देखी गुरु पूछा करै रे, तब भाखै सुविवेक ।। २३. स्थानकवासी साध केसरी, पूज्य जवाहिर शिष्य । रतनदुरग सरदारशहर में, अनशन कर्यो विशिष्य ।। २४. फिर 'ब्यावर' में आय नै रे, अनशन-शोर मचायो । मुद्रित मुद्रित - पत्र में रे, गुरुवर तब २५. तेरापंथ-प्ररूपणा रे, धर्म-विरुद्ध डूंगरमलजी करै प्रार्थना, २१. वयण-मिठासे सहु आश्वासे, नयन - इशारै लारै सारा, बचायो । । अतीव । परिवर्तित जो नहीं करे तो, अनशन जावज्जीव । । २६. या बत्तीसी स्यूं करे रे, अपणी श्रद्धा सिद्ध' । नहिं तो अनशन जावजीव रो, लिख्यो लेख परसिद्ध ।। २७. गवरमेंट सरकार स्यूं रे, स्पष्टीकरण कराय । नहिं तो अनशन जावजीव रो, साधु है क बलाय ।। २८. थोड़ा दिन में ही सही रे, बिना मिल्यां बै बोल । संथारो पूरो कियो रे, वाह ! रे मुनि दृढ़कोल ।। २६. क्यूं अणसण क्यूं पारणो रे, कुणसी पड़गी भीड़ । ढाळ ग्यारवीं इसड़ी बातां सुण पावै मन पीड़ ।। ढाळ: १२. दोहा १. बड़ो क्षेत्र भर मालवै, 'पटलावद ' इह बार । इग्यारह वासर रह्या, करी महर करतार ।। १. ११ अंग, १२ उपांग, ४ मूल, ४ छेद और १ आवश्यक - इन बत्तीस आगमों के द्वारा अपनी मान्यता को प्रमाणित करें । उ.५, ढा. ११, १२ / १५५
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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