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जंगी लाल, रंगी जी ।।
बड़नगर ...
संपन्न तीन घर भैक्षवगण रग-रग ६. गणिवर सह मुनि अड़चाली, झमकू सह सतियां वाली । बावन संख्या सुविशाली, जात्र्यां री जोड़ निराली ।। ७. मरुधर - मेवाड़ - निवासी, हिसार भिवाणी हांसी ।
पंजाब आब अभिलाषी, थळियां री राशी खासी ।। ८. जयपुर वाटी सेखाटी, गुजरात कच्छ करणाटी' ।
बोम्बे मदरास मराठी, बंगाल असम बिहराटी' ।। ८. खानदेश शेष मुगलाई, कोंकण' बरार कहिवाई ।
सी. पी. रु उड़ीसा तांई, जनता आई उमड़ाई ।। १०. मोटो पंडाल सझायो, छज्जां दरवज्जां छायो ।
ऊंचो सो पाट बिछायो, ज्यूं समवसरण शोभायो । ।
मालवी ।
"तेरापंथ बंथ रो प्रहरी म्हामोच्छब लागै प्यारो । जयाचार्य री सूझ उजागर सहज्यां संगम सब ऋतुवां रो ।। वर्षा ऋतु
११. तरु-छाया ज्यूं पांथ संत-सती, पलक बिछायां बाट तकै, कब ध्यावस है पावस पूरो, कब म्हांरा अरमान पकै ? सब रो मन हुलसायो आयो, ओ प्रतीक बण ऋतु वर्षा रो ।। १२. आवै बाढ़ वाहिन्यां की-सी, श्रमण-सत्यां की भीड़ भरे,
१. कर्णाटक
२. बिहा
३. हैदराबाद
४. बम्बई के आसपास का क्षेत्र
५. खानदेश का एक भाग
गुरुकुल - सागर सभी समावै, निज अस्तित्व विलीन करै । हरी-भरी सरसब्ज धरित्री, चित्रित सारो अजब नजारो ।। १३. गंगा जमना और सुरसती, उछळ-उछळकर गळै मिलै, विरह-ताप- संताप भुलाकर, रूं-रूं हर्षांकूर खिलै । गहरो रंग हृदय में राचै, नाचै मधुकर कर गुंजारो ।।
६. नागपुर, रायपुर आदि क्षेत्र ७. लय : चेतन चिदानंद चरणां में
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