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________________ १८. अहो! अलौकिक आपरी रे क्षमा क्षमागर! नाथ! शांत सुधाकर! दिव्य दिवाकर! अमित उजागर आथ। अमित उजागर आथ कवण तुलना तुलै, इचरजवारी बात देख दिलड़ो डुलै ।। १६. वमन देख भोजन वमै रे जाठराग्नि-कमजोर, नास्तिक आस्तिक वेश में बै, बोलै सुगुरु सतोर। बोलै सुगुरु सतोर गिरा गंभीर स्यूं, समता भाव सतोल मिलै तकदीर स्यूं।। २०. प्रतिपख लिखता ही रह्या नित तेरापंथ-खिलाफ, गुणियासिय बीकाण में रे झारी सारी बाफ'। झारी सारी बाफ, बीज सो फळ मिलै, निरख आठमी ढाळ विबुध तन-मन खिलै।। ढाळः ६. दोहा १. च्यार दिवस रतलाम बस, हो 'धराड़' 'बिलपांक' । दो दिन ‘स्टेशन बड़नगर', महर नजर री झांक।। २. महापर्व अब संघ रो, मर्यादोत्सव माघ । वैक्रमीय शुभ बाणवै, संवत में बड़भाग।। ३. कनक सूर्यमल चौधरी, मारू मांगीलाल। __ श्रद्धालू घर तीन स्यूं, बो बड़नगर विशाल।। ४. सारो मालव संघ मिल, मान्य कर्यो ओ क्षेत्र। समवसरै श्रमणाधिपति, रत्नत्रयी-त्रिनेत्र।। बड़नगर महोत्सव मेळो लाल, मालवी। है संघ चतुष्टय भेळो जी।। ५. बड़नगर बण्यो बजरंगी लाल, मालवी। जिणशासन रो सह संगी जी। बड़नगर... । १. देखें उ. ३ ढाळः. १ २. लय : सुखपाल सिंहासण १४६ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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