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________________ २. करणो जाग्रत 'जावरो', बण्यो बावरी जाण। पड्यो मावरो-सो अमिट, प्रतिपख बाण कुबाण।। ३. आ पहुंच्या उण अवसरे, बठै विपख-शिरमोड़। प्रतख मचाई प्रलय-सी, घर-घर में घुड़दोड़।। ४. जो जाग्यां ठाई करी, मालव-जन गुरु-हेत। ___ सारी बदळाई तुरत, करी स्पष्ट संकेत।। ५. थळी देश में म्है सह्या, जब संकट असमान। रे भोळां! भोळप करो, ओ उलटो सनमान ? ६. करणो उद्यम उण दिशा, ज्यूं पन्थाधिप पास। को आवै जावै नहीं, निकसै होय निराश।। ७. आगी-घी-सिंचन जिस्यो, सागी कियो अकाज। शोर मचायो शहर भर, मुख-मुख इक आवाज।। 'मत बणो बावरे, शहर जावरे तेरापंथी आवै रे। तेरापंथी आवै देखो तेरापंथी आवै रे।। ८. बड़ा-बड़ा अखरां में पोस्टर, चोक-चोक चिपकावै रे। घर-घर बार दिवार-दिवारां, दौर्मनस्य दरसावै रे।। ६. मुखडै चमकदार मुखपत्ती, खांधै ओघो ठावै रे। चुल्लपट्ट नहिं नहिं प्रलम्बपट, एड्यां स्यूं टकरावै रे।। १०. अपणी संप्रदाय ही असली साध्वाचार निभावै रे। ___ सारै संघां रै संयम री, ठेकेदारी दावै रे।। ११. अतुल एकता सबल संगठन, जाहिर जोम जचावै रे। चमकीली चुटकीली बातां स्यूं जनता भरमावै रे।। १२. अजब मान्यता सारी दुनियां साथै मेळ न खावै रे। ____ हन्त! अनोखो पन्थ इस्यो, नहिं हुयो न होणो चावै रे।। १३. दया नहीं है दान नहीं है, हमदर्दी न दिखावै रे। दूर देश स्यूं फिरता-फिरता, तेरापंथी आवै रे।। १४. गो-बाड़े में आगी लागी, भागी मनुज बुझावै रे। __ परम धरम ओ नहीं बतावै तेरापंथी आवै रे।। १. लय : आदिनाथ मेरे आंगण आया उ.५, ढा.६ / १३६
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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