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________________ ढाळः २. दोहा १. बिद पांचम प्रातः समय, सूर्योदय सुखकार। समवसऱ्या शासनपती, 'सूर्य पोळ' रै द्वार।। २. जाग्रत जनता ऊमड़ी, जाणक जल-कल्लोल। 'दीक्षा-मंडप में चलो', मुख-मुख एक ही बोल ।। ३. 'महाराणा कॉलेज' में, जनता जमी सुयाम। ____ आर्यप्रवर शोभित करै, उच्चासन अभिराम।। ४. पुलिस स्वयंसेवक सहक,खड्या व्यवस्था-हेतु। अब दीक्षा-संस्कार को दृश्य भवाम्बुधि-सेतु ।। 'महाराणा महाविद्यालय में अद्भुत आभा आज खिली। है अद्भुत आभा आज खिली, गंगा जमुना सुरसरी मिली।। ५. मंडप-मंजुलता बढ़ी रे, गहरी-गहरी तम्बुवां री छाय छाजै, फरर-फरर फरियां फहरावै, लहरावै द्युति दरवाजै। लिखिताक्षर पंक्ती शुभ साझै ।। ६. च्यार तीरथ रथ-सो जुड्यो रे, ऊपर गणवन-अधिराजा, संयम-सज्जित अंग सुरंगो, तेज तपन-सो है ताजा। दसुं दिशि में बाजै जस-बाजा।। ७. ल्यो जलूस आयो अबै रे, राज-लवाजम संग रजै, ___ग्यारसिया' हसिया हसिया हय, आगे-आगे दोर सझै। रण-झण रण-कंकण वाद्य बजै ।। ८. आई. जी. पी. आविया रे, सुपरडेन्ट' नै साथ करी, पय प्रणमी गुरुवर स्यूं पूछे, असल हकीकत खरी-खरी। बालिस-वचनां मन भ्रांति भरी।। १. लय : डेरा आछा बाग में जी २. एकादशी के दिन दाना नहीं लेने वाले घोड़े। ३. ग्यारसिया घोड़े और रणकंकणवाद्य राणाजी की असवारी के अतिरिक्त किसी भी जुलूस ___ में नहीं जाते थे; किंतु राणाजी की विशेष आज्ञा से दीक्षा के जुलूस में वे बराबर साथ रहे। ४. लिछमणसिंहजी ५. रणजीतसिंहजी पांचोली उ.५, ढा.२ / १२६
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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