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________________ ६. बेबुनियाद विरोध-बवण्डर भारी तूद उठायो, छाप छाप पेंफलेट शहर भर वातावरण बणायो । 'धर्मे जय पापे क्षय' आखिर फळसी ओ ओखाणो ।। १०. दीक्षा-रोकण दरखासां खासा महलां पहुंचाई, कसर न राखी राई-पाई भारी धूम मचाई। जाळी हुंडी चलै न जग में, साच स्वयं उभराणो ।। ११. राणो तेरापंथ-प्रणाली भाली क्यूं भरमावै, मुरड्याजी' द्वारा गुरुवर नै गुप्त अरज करवावै । आदत स्यूं लाचार लोग है, जरा न दिल घबराणो ।। १२. मैं दिल्ली जावूं तिण पहली जदि दीक्षा हो ज्यावै, तो सब हाल-हकीकत म्हांरी निजऱ्यां स्हामी आवै । पाछल स्यूं हक नाहक कोई दुष्ट रचै दुष्टाणो ।। १३. सुण संकेत सचेत संघपति जोर गोर फरमावै, पांच कार्तिक बिद दीक्षा की तिथि निर्णीत करावै । दीक्षार्थी मन मुदित क्षुधित ज्यूं देखी पुरस्यो भाणो ।। १४. महाराणा पंडित सुखदेव सहाय मिनिस्टर * भेट्या, सेठ चौपड़ा निज प्रभाव स्यूं सारा विघ्न समेट्या' । रेजिडेन्ट साहिब' पण प्रातः देख्यो पूज्य ठिकाणो ।। १५. परिषद - पूरित पंचायत नोहरो निज निजरां ठावै, राजा रो विदित बैद चम्पक चातुर्य सझावै । देखी देव-दिदार सार गोरांग-चित्त चकराणो ।। १६. श्री कालू री अक्षत पुण्याई रो पार न पावै, शेषनाग अनुराग जाग जदि सँहस - वदन स्यूं गावै । प्रथम ढाळ पंचम उल्लासे मधुरगीत गुंजाणो ।। १. हीरालालजी मुरड़िया २. देखें प. १ सं. २५ ३. भोपालसिंहजी ४. उदयपुर के प्राइम मिनिस्टर ५. देखें प. १ सं. २६ ६. लेफ्टिनेंट कर्नल बीथम ७. देखें प. १ सं. २७ १२८ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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