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________________ 'इक भ्रम फेलायो जी, भ्रम फेलायो, घड्यो-घड़ायो घर-घर गळी-गळी में। देखो दुर्जन पर-घर-भंजन निशदिन रंगरळी में ।। ६. तेरापंथ-प्रमुख री निखरी, बहकावट री बाजी। चेला मूडै चाहे घर का राजी हो बेराजी।। १०. पन्द्रह दीक्षार्थ्यां में इक है, कोठाऱ्या रो कूको। नाम मीठियो भोळो बालक, जाणक चेतो चूको।। ११. मात-पिता तो सात दिवस स्यूं, ऊंधै माथै पड़िया। कूकै हा! हा! मत दीक्षा लै, रे म्हारा नानड़िया! १२. माईतां रो मुखड़ो देखी, बालक बसकां फाटै। पिण अगवाणी श्रावक तिणने, छान-छानै डांटै।। १३. जबरन मोटर-कोटर मांही घाल जलूस सझायो। ओ अन्याय हाय! इण पुर में, हा! हा! प्रलय मचायो।। १४. इण भ्रम स्यूं भरमाया आई.जी. पी. ऊभा आगै। पर गुरु-चरण शरण में, सबका सारा संशय भाग।। महाराणा महाविद्यालय में, अद्भुत आभा आज खिली। १५. शासणपति संक्षेप में रे, दीक्षा-पद्धति दरसाई, तेरापंथ-संत बणणे की रीति-रश्म सब समझाई। पूरो लेखो आना-पाई।। १६. लिखित पत्र अभिभावकां रै द्वारा सारा दिखलाया, नीचे पंचां रा हस्ताक्षर साक्षी रूप स्वयं आया। उलसित आन्तर मन वच काया।। १७. बिन आज्ञा इक तिणखलो रे, लीधां व्रत तीजो भागै, तो बिन आज्ञा माणस मूंड्यां, दोष न चोरी रो लागै? हथकड़ियां बेड्यां भी जागै।। १. लय : म्हांनै चाकर राखोजी २. लय : डेरा आछा बाग में जी... १३० / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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