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हस्ती समंदड़ी, जाळी हरियाणे रो, मोहन सुजान चम्पक पड़िहार वसेरो। बच्छावत चाड़वास रो नेमू निरखो, मोती कचेरियो चंदेरी रो परखो। छव सन्त शेष सोळह संख्या सतियां री,
चौथे उल्लासे सुणो ख्यात दीक्षा री।। ६. मीरां गोगांजी पूनां पानकवारी,
मग्घू छगनांजी रायकवारी भारी। सातूं सरदारशहर की सतियां सोहै, गिरिगढ़ की गोरां, उदियापुर की जो है। लिछमांजी, इक संतोकां जनमी हांसी, संतोका सूरज रतन राजगढ़वासी। बखतावर' और मोहनां' मानकंवारी', चौथे उल्लासे सुणो ख्यात दीक्षा री।।
सोरठा ७. एक साथ बाईस, उपर्युक्त दीक्षित किया। कालू शासण-ईश, नूतन बात शताब्दि में।।
लावणी छंद ८. सुधरी मोच्छब में दीक्षा तीन सुहाणी,
नगराज दफ्तरी भीखण-पुत्र पिछाणी। मगनां सुजान टमकोर निवासिणि गोरां, अब राजसमंद-पाळ पर साझ सजोरां। मुनि उगमराज बोरदियो देवरिया रो, पोतो जुहारमलजी रो तप-उजियारो। पन्द्रह दीक्षा अब उदयपुरे अविकारी, कालू-बरतारे सुणो ख्यात दीक्षा री।।
१. गंगाशहर २. टमकोर ३. बीदासर
१२० / कालूयशोविलास-२