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२५. डूंगरिया गरिया घणां कांइ, हरिया-भरिया भाल।
सांभरिया बिन कुण रहै काइ, दरिया री सेवाल।। २६. जेठ मास में वीसऱ्या कांइ, जन गरमी री बात।
ऊर्णायू ओढ्यां बिना कांइ, नावै निद्रा रात।। २७. चवदह दिवस दया करी काइ, गोगुन्दै गणनाथ।
प्रगट हुई व्रण-वेदना काइ, श्री गुरुवर रै हाथ ।। २८. सुगुरु-दिदार निहारियो काइ, गोगुन्दै रा राज। . प्रवचन सुण्यो सुहावणो काइ, यद्यपि शिशुवय साज।। २६. फतेहलालजी आविया काइ, महताजी रा पुत्र। उदयपुरी श्रावक घणां कांइ, सेवै सुगुरु सुसूत्र ।।
'उपकारी अधिकारी तेरापंथ रा। ३०. पूज्य 'उदयपुर' आसनो, कृपया दीजे आश।
किण दिन पधराणो हुसी, पूरण पौर-पिपास ।। ३१. भावपूर्ण आग्रह लखी, तीज शुक्ल आषाढ़।
घोषित ढाळ इग्यारवीं, जनता हर्ष प्रगाढ़।।
ढाळः १२.
दोहा १. चवदस बिद आषाढ़ री, पूज्य कियो प्रस्थान।
'उदियापुर' पावस करण, हरण तिमिर-अज्ञान।। २. एक दिवस 'भादविगुड़ो' 'थूर' रु 'चिक्कलवास' ।
पुर बाहिर बंगलै रह्या, दूजै दिन सोल्लास।। ३. सात कोश है कहण रा, माप मील इक्कीस ।
'गोगुन्दा' स्यूं 'उदयपुर' आया शासण-ईश।।
देखो आज अभ्युदय-समय, उदयपुर आया पुण्य-निधान। आया पुण्य-निधान, कालू जिन-शासन की शान।।
१. लय : जग बाल्हा जग बाल्हा जिनेन्द्र पधारिया २. लय : म्हारा सतगुरु करत विहार
१०८ / कालूयशोविलास-२