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४. शुक्लाषाढ़ तीज दिन उदयो उदयाचल शुभ भान।
तेरस तीज अचूक मुहूरत जाणै जन मतिमान।। ५. भाषण-चिंतन-मनन-विवर्जित ईर्याधुन इकतान।
जुगमात्रा-मित निरखत-निरखत पग-पग पर पन्थान।। ६. श्रमण-संपदा संगे सोहे जो है आलीशान। ___परिषद सद्गुरु-अनुपद चालै मुख-मुख मंगल गान।। ७. 'हाथी-पोळ' धोळ दिल आगै मध्य बजार वितान।
लोक हजारां निरखै परखै परमेश्वर प्रतिमान।। ८. बीस बरस स्यूं दर्शन दीठा मीठा मनु मिष्टान। ___पातक नीठा जाणक पायो चातक घन-रस पान।। ६. घणां दिनां रो भूखो मानव पुरस्योड़ा पकवान।
नयन निहारै इष्ट-वियोगी मन इच्छित महमान।। १०. अहोभाग्य है आज उदयपुर गुरु-पद-रज-संधान।
मोड़-मोड़ पर अमित कोड धर जन-जन करै बखान।। ११. महता फतेलालजी वारी बाड़ी विकसित वान। सपरिवार गणधार पधारै सारै सेव सुजान।।
सोरठा १२. महताजी मतिमान, हीरालालजी मुरड़िया।
महलां लख महारान, करै सहज अभ्यर्थना।।
'देखो आज अभ्युदय-समय, उदयपुर आया पुण्य-निधान।
१३. तेरापंथ-पूज्य इण पुर में आया आयुष्मान। ___त्याग-तपस्या मांही राखै अपणो ऊंचो स्थान।। १४. कांता कांचन रंच न राखै झांकै निज निध्यान।
ललित ललाट-लालिमा साखे ब्रह्म ज्योत री छान।। १५. भोगी रूप विलोक्या जोगी जोगी अलख जबान।
आज अनोखो जोगी निरखो मेदपाट-महारान!
१. लय : म्हारा सतगुरु करत विहार
उ.४, ढा.१२ / १०६