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________________ ७. सुधरी सगरी बात तब जचै न बगड़ी नाम । सुधरी-सुधरी सब कहै, परिणत नाम सुनाम ।। 'पूज्य परमेश ! पधारो देश मेवाड़ां । तारो अजि तारणहार, थांरो इक मात्र आधार । ८. श्रावक मेवाड़ निवासी, उत्कट अभिलाषी, विनवै चरणां सिर नात, विनवै चरणां सिर नात । पूज्य ... । जुग का जुग बीता गणिवर ! रहग्या म्है रीता, अब तो ले सबलो साथ, अब तो ले सबलो साथ ।। पूज्य ... । ६. ऊंचा - ऊंचा शिखरां स्यूं शिखरी सुहाणां, शिख स्यूं हरित अपार । झर-झर झरता निर्झरणा उज्ज्वल-वरणां, किरणां दूधां री धार । । १०. बागां-बागां बड़भागां कोयलियां कूजै, गूंजै गह्वर-बिच शेर । लम्बी खोगाळांनाळा बाहळा नै खाळा, नदियां रो नहीं निवेर ।। ११. भूमी भल भाखर वाली दृढ़ता विशाली, भाली भिक्षू बुधवान । धारी सतितिक्षा दीक्षा शहर केलवै, मान्यो मेवाड़ सुथान । । १२. विभव-विलासी गुरुवर ! नहिं नर बहुला, करणो निज उदर गुजार । मोटो खाणो त्यूं जाणो वेष पुराणो, भक्ति घर-घर अनपार ।। १३. वारी बिन सींचे वारी सूकै विचारी, समझो गुरु! आप विचार । वारी वारिज इकतारी थांरी नै म्हांरी, म करो अब देर लिगार ।। १. लय : पिओ नी परदेशी ६८ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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