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36. तत्त्वार्थसूत्र;सर्वार्थ सिद्धि : 1/4 37. तेराद्वार, द्रष्टान्त द्वार 37. (क) तत्त्वार्थ; 9.2, 4-18 37. (ख) नवतत्त्व साहित्य संग्रह के सर्वनवतत्त्व प्रकरण। 38. स्थानांग; 1/14 की टीका
अयं द्विविधो द्रव्यतो भावतश्च, तत्र द्रव्यतो जलमध्यगतनावादेरनवरतप्रविशजलानां छिद्राणां तथाविध द्रव्येण स्थगनं संवरः, भावतस्तु जीवद्रोण्यामाश्रवत्कर्म -
जलानामिन्द्रियादिच्छिद्राणां समित्यादिना निरोधनं संवर इति। 39. पंचास्तिकाय ; अमृतचन्द्रवृत्ति 2/142 40. द्रव्य-संग्रह; 2/34 .
चेदणापरिणामो जो कम्मस्सासवणि रोहणे हेऊ। .
सो भाव संवरो खलु दव्वासवरोहणे अण्णो॥ 41. द्वादशानुप्रेक्षा, संवरानुप्रेक्षा; 95
सम्मत्तं देसवयं, महव्वयं तह जओ कसायाणं।
एदे संवरणामा, जोगाभावो तहच्चेव॥ 42. समयसार, संवर अधिकार; 190-191 43. (क) ठाणं; 5/110
(ख) समवायांग; 5/5
पंच संवरदारा पन्नता तं जहा - सम्मत्तं विरई अप्पमत्तया अकसाया अजोगया। 44. समवायांग; 5/5 45. ठाणं; 8/11 46. धम्मपद; 360-361 47. (क) प्रश्न व्याकरण संवर द्वार
(ख) ठाणं; 10/10 48. तत्त्वार्थ सूत्र, सर्वार्थसिद्धि; 9-1 49. वहीं; 9/4. 50. नव तत्त्व संग्रह; गा.10 भाष्य 51. उत्तराध्ययन; 24/26 ___एयाओ पंच समिईओ, चरणस्स य पवत्तणे। ___गुत्ती नियत्तणे वत्ता, असुमत्थेसु सव्वसो।। 52. तत्त्वार्थ सूत्र, सर्वार्थ सिद्धि; 9/2 53. तत्त्वार्थ सूत्र, राजवार्तिक; 9/5 54. (क) स्थानांग; 8/17
(ख) समवाओ; 8/2 (ग) उत्तराध्ययन; 24/1,2, 19/36
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अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया