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विपाक के फलस्वरूप जाति, आयु और भोग होता है। क्लेश जड़ है। इससे कर्माशय का वृक्ष बढ़ता है। जाति, आयु आदि उसके फल हैं। फल तब तक ही लगते हैं जब तक क्लेश रूपी जड़ विद्यमान है। 13 मनुष्य, पशु, देव, आदि के रूप में उत्पन्न होना जाति कहलाती है। लम्बे समय तक जीवात्मा का एक शरीर के साथ सम्बन्ध का नाम आयु है। इन्द्रियों के विषय - रस, रूपादि का सेवन भोग है।
सामान्यतः बौद्ध दर्शन अनात्मवादी दर्शन कहलाता है किन्तु पालि त्रिपिटक के अनुसार बुद्ध ने भी कर्म को पुनर्जन्म का कारण माना है। 14 उनके अभिमत से कुशल कर्म और अकुशल कर्म दुर्गति का हेतु है। 15 प्रतीत्यसमुत्पाद सिद्धांत, जिसे भवचक्र कहा जाता है, पुनर्जन्म की संपूर्ण व्याख्या करता है। उसके अनुसार अविद्या एवं संस्कार पुनर्जन्म के मूल हैं। अविद्या का अर्थ अज्ञान या मिथ्याज्ञान है। अविद्या संस्कार की जनक है। संस्कार से विज्ञान, विज्ञान से नाम-रूप उत्पन्न होता है। नाम-रूप से षडान (5 इन्द्रिय, मन)। षडायतन स्पर्श का कारण है, स्पर्श से वेदना, वेदना से तृष्णा, तृष्णा लालसा का आविर्भाव होता है जो भव चक्र का उपादान है।
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इस प्रकार भारतीय चिन्तकों ने अनेक युक्तियों द्वारा पुनर्जन्म को सिद्ध किया है। वेद'' उपनिषद'7 स्मृति'' गीता" और जैन साहित्य में वर्णित पुनर्जन्म की घटनाओं से इस सिद्धांत का समर्थन होता है। 20
क्रिया, कर्म और पुनर्जन्म का सूक्ष्म और गहरा चिन्तन जैन दर्शन की विशिष्टता का परिचायक है। जीवन की समस्त समस्याओं के विश्लेषण में कर्म तत्त्व की प्रधानता को नजरअन्दाज न करना जैन दर्शन की अपनी विशेषता है। जैन दृष्टि से पुनर्जन्म का मूल आधार है - कर्म शरीर । कर्म शरीर का मूल है - कषाय । कषाय से उसका अभिसिंचन होता है। परिणामस्वरूप पुनर्जन्म की श्रृंखला बढ़ती जाती है। जैनागमों में मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी तथा वृक्षों का भी पुनर्जन्म माना गया है। वृक्ष का जीव मृत्यु के अनन्तर मनुष्य भी बन सकता है। इस प्रसंग में भगवती का संवाद विशेष मननीय है। 21
देहधारी जीव अपने शुभ-अशुभ कर्म के अनुसार ही फल पाता है। 22 जैसे - टी.वी. और हाई फ्रिक्वेन्सी वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगों का सम्बन्ध है। टी.वी. सेट में आई हुई अनेक प्रकार की ट्युन्स, ट्रान्सफोर्मर चित्र और ध्वनि को व्यक्त करने में सहायक होते हैं। उसी प्रकार शरीर भी आत्मा की अभिव्यक्ति का माध्यम है। शरीर और आत्मा का आधार तथा आधेय संबध है। शरीर में चेतना शक्ति टी.वी. सेट में रही हुई
अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्या: क्रिया
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