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58. बौद्ध दर्शन तथा अन्य भारतीय दर्शन, भाग-1 पृ.480 59. ठाणं; 2/1 60. धवला; 7/2, 1/49,91/7 61. नंदी सूत्र; 71 62. दर्शन; 2/4 - अविद्या क्षेत्रमुत्तरेषां प्रसुप्ततनुविच्छिन्नोदाराणाम्। 63. Studies in Jain Philosophy, Page 259-260 64. नवपदार्थ, आश्रव पदार्थ ढ़ाल (1) गा. 69 65. (क) त्रिषष्टिशलाका-पुरुष-चरित्रम् पर्व ; सर्ग - 9 65. (ख) ठाणांग, पृ. 1000 65. (ग) चित्त और मन, 97 66. (क) आचारांग भाष्य, पृ. 25 66. (ख) जैन सिद्धांत दीपिका; 4,1 -आत्मन: सदसत्प्रवृत्याऽकृष्टस्ततप्रायोग्यपुद्गला: कर्मः। 67. भारतीय दर्शन; पृ 12 68. जैन धर्म दर्शन; पृ. 442 69. षट्खण्डागम,भाग; 6. पृ.18 70. अष्टाध्यायी; 1/4/49, कर्तृरीप्सिततमं कर्म। 71. बौद्ध-दर्शन व अन्य भारतीय दर्शन; पृ. 463 72. तत्त्वार्थ राजवार्तिक; 6/1/7/504/26, उद्धृत -कर्म विज्ञान 73. ब्रह्मसूत्र, शांकर भाष्य; 2/1/14 74. सांख्यकारिका, सांख्यतत्त्व-कौमुदी 75. शाबर भाष्य; 2/1/5 76. न्याय भाष्य; 1/1/2, न्यायसूत्र; 1/1/7,4/1/3.9, न्याय मंजरी; पृ.471 77. अभिधर्मकोष; परिच्छेद,4 78. न्याय मंजरी; पृ.472 79. नव पदार्थ ज्ञानसार; 237 80. कर्मग्रंथ; 1/55 81. न्याय तत्त्वार्थ; 6/13 82. (क) स्थानांग; 2/427 (ख) उत्तराध्ययन; 33/8 83. उत्तराध्ययन; 33/9, (ख) प्रज्ञापना; 23/2 84. कर्मग्रंथ भाग; 1/16 क्रिया और कर्म - सिद्धांत
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