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उसके बाद 'जिणं' कहते हुए चित्त को ज्ञान केन्द्र से शक्ति केन्द्र पर लाएं फिर दूसरा आवर्त प्रारंभ करें।
च चंदपप्हं वंदे - शक्ति केन्द्र पर सुविहिं च पुप्फदंतं- स्वास्थ्य केन्द्र पर सीअल - तैजस-केन्द्र पर सिज्जंस - आनंद-केन्द्र पर वासुपूज्जं च - विशुद्धि-केन्द्र पर विमल
- दर्शन-केन्द्र पर मंणंत च - ज्ञान-केन्द्र पर
उसके बाद 'जिणं' कहते हुए चित्त को पुनः ज्ञान-केन्द्र से शक्ति-केन्द्र पर लाएं। इस प्रकार दो आवर्त पूरे हुए। अब तीसरा आवर्त प्रारंभ करें। धम्म
- शक्ति केन्द्र पर संतिं च वंदामि - स्वास्थ्य केन्द्र पर कुंथु - तैजस-केन्द्र पर अरं च - आनंद-केन्द्र पर मल्लिं - विशुद्धि-केन्द्र पर वंदे मुणिसुव्वयं - दर्शन-केन्द्र पर नमि
- ज्ञान-केन्द्र पर उसके बाद 'जिणं' कहते हुए पुनः चित्त को ज्ञान केन्द्र से शक्ति केन्द्र पर लाएं इस प्रकार तीन आवर्त पूरे हुए। फिर
वंदामि रिट्ठनेमि - शक्ति केन्द्र पर पासं तह - स्वास्थ्य केन्द्र पर वद्धमाणं च - तैजस्-केन्द्र पर
दो-तीन दीर्घ श्वास के साथ प्रयोग संपन्न करें। परिणाम१. आनंद की अनुभूति २. चैतन्य केन्द्रों का जागरण ३. श्रद्धा की दृढ़ता ४. ज्ञान-चेतना का जागरण ५. भेद विज्ञान (आत्म व शरीर की भिन्नता व बोध) का अनुभव।
लोगस्स के संदर्भ में ध्वनि की वैज्ञानिकता / १०६