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भगवती सूत्र
श. १६ : उ. ८ : सू. ११३-११६ ११३. भंत! लोक के उर्ध्व चरमान्त में क्या जीव हैं पृच्छा। गौतम! जीव नहीं हैं। जीव के देश भी हैं यावत् अजीव के प्रदेश भी हैं। जो जीव के देश हैं वे नियमतः एकेन्द्रिय के देश हैं और अनिन्द्रिय के देश हैं। अथवा एकेन्द्रिय के देश हैं, अनिन्द्रिय के देश हैं और द्वीन्द्रिय का देश है। अथवा एकेन्द्रिय के देश हैं, अनिन्द्रिय के देश हैं और द्वीन्द्रियों के देश हैं। इस प्रकार मध्यम-विकल्प-विरहित यावत् पंचेन्द्रियों की वक्तव्यता। जो जीव के प्रदेश हैं, वे नियमतः एकेन्द्रिय के प्रदेश हैं और अनिन्द्रिय के प्रदेश हैं। अथवा एकेन्द्रिय के प्रदेश हैं, अनिन्द्रिय के प्रदेश हैं और द्वीन्द्रिय के प्रदेश हैं। अथवा एकेन्द्रिय के प्रदेश हैं, अनिन्द्रिय के प्रदेश हैं और द्वीन्द्रियों के प्रदेश हैं। इस प्रकार प्रथम-विकल्प-विरहित यावत् पंचेन्द्रियों की वक्तव्यता। अजीव जैसे दशम शतक (भ. १०/७) में तमा की वक्तव्यता वैसे ही निरवशेष वक्तव्य है। ११४. भंते! लोक के अधस्तन चरमान्त में जीव-पृच्छा।
गौतम! जीव नहीं हैं। जीव के देश भी हैं यावत् अजीव के प्रदेश भी हैं। जो जीव के देश हैं, वे नियमतः एकेन्द्रिय के देश हैं। अथवा एकेन्द्रिय के देश हैं और द्वीन्द्रिय का देश है, अथवा एकेन्द्रिय के देश हैं और द्वीन्द्रियों के देश हैं। इस प्रकार मध्यम-विकल्प-विरहित यावत् अनिन्द्रियों की वक्तव्यता। सबके प्रदेश आदि विकल्प-विरहित पूर्व चरमान्त की भांति
वक्तव्य है। जीवों की ऊर्ध्व चरमान्त की भांति वक्तव्यता। ११५. भंते! इस रत्नप्रभा-पृथ्वी के पूर्व चरमान्त में क्या जीव हैं? पृच्छा।
गौतम! जीव नहीं हैं। इस प्रकार जैसे लोक की वक्तव्यता वैसे ही चारों चरमान्त की वक्तव्यता यावत् उत्तर चरमान्त, ऊर्ध्व चरमान्त की दशम शतक (भ. १०/१-७) में विमला-दिशा की भांति निरवशेष वक्तव्यता। लोक के निम्नवर्ती भाग के चरमान्त की भांति अधःस्तन चरमान्त की वक्तव्यता, इतना विशेष है। पंचेन्द्रिय में देश के तीन भंग वक्तव्य हैं, शेष पूर्ववत्। जिस प्रकार रत्नप्रभा के चार चरमान्तों की वक्तव्यता उसी प्रकार शर्कराप्रभा की वक्तव्यता। उपरिवर्ती और निम्नवर्ती भाग की रत्नप्रभा के निम्नवर्ती भाग की भांति वक्तव्यता। इस प्रकार यावत् अधःसप्तमी की वक्तव्यता। इसी प्रकार सौधर्म यावत अच्यत की वक्तव्यता। ग्रैवेयक विमानों की पूर्ववत् वक्तव्यता, इतना विशेष है-ऊर्ध्व एवं अधोवर्ती चरमान्तों में पंचेन्द्रियों के देशों में मध्यम विकल्प-विरहित । शेष पूर्ववत्। ग्रैवेयक-विमानों की भांति अनुत्तर-विमान और ईषत्-प्राग्भारा की वक्तव्यता। परमाणु-पुद्गल का गति-पद ११६. भंते! परमाणु-पुद्गल पूर्व चरमान्त से पश्चिम चरमान्त में एक समय में जाता है? पश्चिम चरमान्त से पूर्व चरमान्त में एक समय में जाता है? दक्षिण चरमान्त से उत्तर चरमान्त में एक समय में जाता है? उत्तर चरमान्त से दक्षिण चरमान्त में एक समय में जाता है? ऊर्ध्व चरमान्त से अधस्तन चरमान्त में एक समय में जाता है? अधस्तन चरमान्त से ऊर्ध्व चरमान्त में एक समय में जाता है?
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