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९.
इम दीधी सीखावण दूत नें, दूत तिहां थी नीकल्यों, ओं तों
भिक्षु वाङ्मय - खण्ड - १०
तिण
कर लीधी परमांण ।
कर मोटें मंडांण । तिहां थी । चाल्यों घणा साथ समान थी ।।
बेंठा
तिहां,
कर मोटें
मंडांण ।
बाहुबली
तिण अवसर दूत आयनें, विनों कर बोल्यों मीठी वाण । तिण ठांमे । जय विजय करनें वधावीया ।।
"
जब आदर मांन दीयों दूत नें पूछ्या तिणनें समाचार । कहो दूत किरा मेल्या आवीया, जब दूत बोल्यो तिणवार । राजा सूं । हूं तो आयो भरतजी रो मेलीयों ।।
कहो भरतजी री वारता, जब दूत बोल्यों तिणवार । भरतजी कह्यों छें थां भणी, मो साथे आपनें समाचार । माहाराजा । आप चित्त लगाय नें सांभलों ॥।
चक्ररत्न उपनो माह रे, तिणसूं मांनजो म्हारी आंण । इम कहे मोनें मोकल्यों, ए वचन करो परमांण । माहाराजा । ए वात जुगती छें आपनें ।।
ए
वचन सुनें कोपीया, बाहुबल तिणवार । करडा वचन मुख बोलीया, तीन लीटी चाढे निलाड । नें बोल्यों । तूं जाय भरत नें इम कहें ।।
१०. थे
राज ।
अठा भायां तणो, खोस लीयों छें इसडो अकार्य थें कीयो, तोनें अजे न आवें लाज । रे भाई । तूं जाय भरत नें इम कहें ।।
"
११. हूं डरतों आंण मांनूं नही डरतों नही लेऊ संजमभार । हूं करसूं संग्रांम तो थकी, तें पिण वेगों होयजे तयार । लडवानें ।
तूं जाय भरत नें इम कहें ।।