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दुहा १. इण विध मंजणसाल थी, बारें नीकलीयों राय।
जिहां आउधसाल चक्ररत्न छे, तिण दिशि चाल्यों जाय।।
२. जब सेवग भरत राजा तणा, इसर युगराजादिक जांण।
ते पिण साथे चालीया, कर मोटें मंडांण।।
ढाळ : ६ (लय : जंबूदीप मझार रे) कमल ले हाथ रे, वळे केयक सेवगां।
उतपल कमल ने लीया ए।।
केइ
पदम
२. एकेक
हस्त
मझार
रे,
कमल सों पत्र ना।।
गंध सुगंध तिणरो घणों ए।।
३. केका लीया हस्त मझार
रे, कमल ततकाल नों।
सहंस पत्र नो नीपनों ए।।
४. ते घणा नरा
रा
वृंद रे, कमल ले हाथ में।
भरत राजा पूठे चालीया ए।।
५.
वळे
भरतेसर
लार
रे,
पूठे चालती। अठारें देस री दासीयां ए॥
६. त्यारों रूप घणों
श्रीकार रे, तुरणी वय तणी।
घणी डाही चुतर छे दासीयां ए।।