________________
भरत चरित
३९१
१३. तीन सौ साठ बुद्धिमान तथा चतुर रसोइये तथा आज्ञाकारी अठारह श्रेणिप्रश्रेणि हैं।
१४. चौरासी-चौरासी लाख हाथी, घोड़े और रथ तथा छियानबे करोड़ पैदल सैनिक हैं । आगम उनके साक्ष्य हैं।
१५-१७. बहोत्तर हजार नगर, छिन्नाणवें करोड़ ग्राम, अड़तालीस हजार पाटण, बत्तीस हजार जनपद, निन्नाणु हजार द्रोणमुख, चौबीस हजार कवड़, चौबीस हजार मडंब, सोने-चांदी की बीस हजार खाने, सोलह हजार खेड, सोलह हजार संवाह हैं।
१८. छप्पन द्वीप पानी में हैं। गुणचास भीलों के आदिवासी कुराज्य हैं। इन सबके अधिपति भरतजी हैं।
१९. चूल हेमवंत से लेकर लवण समुद्र तक सब जगह भरतजी की आज्ञा प्रवर्तित होती है। पूरे भरतक्षेत्र में सारे लोग उनकी आज्ञा मानते हैं।
२०. सार्थवाह, राजा आदि सभी लोगों पर आधिपत्य करते हुए वे साडंबर विहार करते हैं।
२१. बयालीस भौमिक महलों के चौबारों-चित्रशालों में बत्तीस प्रकार के नाटक देखते हुए अपना काल व्यतीत करते हैं।