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भरत चरित
ढाळ : ५९
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भरत नरेन्द्र का राज्याभिषेक करते हैं ।
१. वैक्रिय विधि से एक हजार आठ सोने के और एक हजार आठ चांदीके श्रीकार कलश तैयार किए।
२. एक हजार आठ अनुपम कलश मणिरत्नों के विकुर्वित किए। एक हजार आठ कलश चतुराई से सोने-चांदी में विकुर्वित किए।
३. एक हजार आठ अभिराम कलश स्वर्ण मणि में विकुर्वित किए तो एक हजार आठ रूप्य मणि में विकुर्वित किए।
४. एक हजार आठ स्वर्ण-रूप्य एवं मणिमय कलश विकुर्वित किए तो एक हजार आठ मिट्टी के कलश विकुर्वित किए।
५. इस प्रकार देवता ने कुशलता से सारे आठ हजार चौसठ कलश विकुर्वित किए। उन्हें क्षीरोदधि आदि तीर्थों के पानी तथा गंधोदक जल से भरा ।
६. एक हजार आठ भृंगार लोटा, एक हजार आठ दर्पण, एक हजार थाली के सुरूप पात्र भी विकुर्वित किए ।
७. एक हजार आठ रत्न मंजुषाएं, एक हजार आठ फूल चंगेरी, एक हजार आठ छत्र, रत्न एवं चामर भी देवताओं ने विकुर्वित किए ।
८. एक हजार आठ धूप, कुड़छा आदि अनेक प्रकार की चीजें विकुर्वित कीं, जिनका विस्तार जीवाभिगम आगम में विजय पोलिये के अधिकार में है ।
९. इन सबको एकत्रित करके विनीता नगरी में आया । विनीता को प्रदक्षिणा करता हुआ अभिषेक मंडप में आया।