________________
दोहा
१. उस कमलामेल अश्वरत्न पर सेनापति सवार हुआ। उस अवसर पर उसने हाथ में खड्ग रत्न लिया।
२. वह खड्ग रत्न कितना आश्चर्यकारक एवं अनुपम है उसका मैं यथातथ्य वर्णन करता हूं उसे उत्साह से सुनें।
ढाळ : ४३
पुण्य के फल को देखों। १. वह खड्गरत्न नीलोत्पल कमल-दल सरीखा श्यामल है। हजार देवता सेवक की तरह उसकी सुरक्षा करते हैं।
२. चंद्रमंडल सरीखा उसका तेज है। हाथ में पकड़ने के लिए उसका दंड कनक रत्नमय है। शत्रुओं का नाश करने वाला है। खड्गरत्न एक अमूल्य चीज है।
३. उसकी सुगंध नवमालती के फूलों की तरह सुरभित है। विविध प्रकार के मणिरत्नों से युक्त लता-बेल आदि के चित्र उसमें अंकित हैं।
४. भांति-भांति के रत्नों के चित्रों की अतुल्य चित्रकारी से संयुक्त है। ऐसा लगता है नीसाण पर घिस-घिसकर इसको निर्मल धारदार एवं चमकदार बनाया गया
है।
५. वह खड्ग खड्गों में श्रेष्ठ तथा लोक में अमूल्य चीज है। भरतक्षेत्र में वह अद्वितीय है।