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दुहा १. तिण कमला मेल अश्व ऊपरें, सेनापती हूवो असवार।
खडग रत्न तिण अवसरें, लीधो हाथ मझार।।
२. ते खडग रत्न
तिणरों जथातथ
, केहवों, ते इचर्य चीज वरणव करूं, ते सुणजों धर
अनूप। चूंप।।
ढाळ : ४३ (लय : मुनीवर जीव दया वरत पालीए)
पुन तणा फल जोय॥ १. नीलो उतपल कमल ना दल सरीखों, सांवळे वर्ण खडग रतन।
सहंस देवता छे तिणरें अधिष्टायक, सेवग जिम करें तिणरा जतन।भरतेसर।
२. चंद्र मंडल सरीखों तेज छे तिणरो, सत्रू जननो विणासण हार। __ कनक रत्न माहे दंड , तिणरो, मुसट ग्रहिवानें हाथ मझार।
खडग रत्न अमोलक चीज।
३. नवमालती ना फुल सरीखों, सुरभी गंध सुगंध छे ताम।
नाना प्रकार ना मणीरतन में, लता वेल आकार , चित्रांम।।
४. भांत चित्रांम रत्न ना विविध प्रकारें, चित्रकारी घणा , असमान। ___ जाणें नीसाणे घसी घसी निरमल कीधों, तीखी धारा छे देंहदीपमांन।।
५. ते खडग रत्न खडगां में परधान, लोक माहे अमोलक चीजों।
कोइ खडग रत्न इण सरीखों, भरत क्षेत्र में नही बीजों।।