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भरत चरित
२६३ २१. तोते की तरह उसका वर्ण नीला है। काया अत्यंत सुकोमल है। ऐसा कमलामेल अश्वरत्न सबके मन को अभिराम लगता है।
२२. उसमें इतने गुण है कि उनका पूरा वर्णन असंभव है। उसके अलंकार और आभूषणों का भी पूरा वर्णन असंभव है।
२३. भरत क्षेत्र में ऐसी अमूल्य वस्तु चक्रवर्ती के बिना और किसी को उपलब्ध नहीं होती। भरत नरेंद्र के पुण्य के प्रमाण से ही ऐसा अश्वरत्न उत्पन्न हुआ है।
२४. हजार देवता सेवक की तरह उसकी सुरक्षा करते हैं। वह इतना पुण्यवान् अश्वरत्न है कि सबकी आंखों को हितकारी लगता है।
२५. भरतजी ऐसे अश्वरत्न में भी आसक्त नहीं होंगे। मन में वैराग्य को प्राप्त कर सिंह की तरह संयम का पालन कर इस भव में निर्वाण में पहुंचेंगे।