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भरत चरित
२२९ २. वे आकाश में आकर खड़े हो गए। छोटी-छोटी घूघरिया तथा पंचवर्णी विशिष्ट वस्त्र पहने हुए वे शोभायमान लग रहे थे।
३,४. देवता आपात चिलातियों से बोले- तुमने बालू का बिछौना क्यों किया है। निर्वस्त्र होकर ऊंचा मुंह कर तेला क्यों किया है? हमें किस कार्य के लिए याद किया है। हम आज उसी कारण आये हैं।
५. हम मेघमाली नागकुमार तुम्हारे कुल देवता हैं। इसलिए हम तुम्हारे पास आए
६. अब तुम्हारे जो भी मन में हो वह कार्य हमें बतलाओ। हमारा तुमसे प्रेमस्नेह है इसलिए तुम जो कहोगे वह कार्य करेंगे।
७. यह वचन सुनकर आपात चिलातियों का हृदय हर्ष से भर गया। वे आसन से उठकर खड़े हुए और मेघमाली देवता के पास आए।
८. दोनों हाथ जोड़ सिर झुकाकर मुख से गुणगान करते हुए उन्हें जय-विजय शब्द से वर्धापित कर प्रशंसा करने लगे।
९. विनयपूर्वक कहते हैं- हमारे पर ऐसा संकट आया है। किसी अप्रशस्त प्रार्थित ने आकर हमें युद्ध करके भगा दिया।
१०. हमारे सुभटों का विनाश कर दिया। जिससे हम भागकर यहां आए हैं। हमारे में ऐसी शक्ति नहीं है कि युद्ध करके उन्हें भगा सकें।
११. इसीलिए तेला-स्मरण आदि किया। जानबूझ कर आपका ध्यान किया जिससे आप खुद आए। अब हमारे शोक-संताप को मिटाओ।
१२. सामने जाकर इसे मारो जिससे वह आगे न आ सके। युद्ध कर इन्हें दूर भगा दो। तब हमें सुख होगा।