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भिक्षु वाङ्मय-खण्ड-१० २. आकासे ऊभा रूडी रीत ए, न्हांनी घुघरी करे सहीत ए।
पंचवरणा वस्त्र परधान ए, त्यारे पहरण सोभायमांन ए।।
३.
आपातचिलात सुं ताम ए, देवता बोलें , आम ए। किण कारण कीया वालू संथार ए, किण कारण न्हांख्या वस्त्र सार ए।।
मुख ऊंचों करे सूता आंम ए, वळे तेलों कीयों किण काम ए। मांने याद कीया किण काज ए, तिण कारण आया म्हें आज ए।।
५. म्हे मेघमाली स्वमेव ए, नाग कुमार छां म्हे देव ए।
थांरा कुल देवता छां तास ए, तिण सूं आया म्हें थारें पास ए॥
६. हिवें कार्य भलावो मोय ए, थारे जे कोइ मन माहे होय ए।
म्हारें छे थांसूं हेत सनेह ए, थे कहिसों ते करतूं तेह ए।
ए वचन सुणनें आपात ए, हीया माहे हरख न मात ए। ठांम थी उठ उभा थाय ए, मेघमाली देव में आय ए।।
८.
दोनूं हाथ जोडी सीस नाम ए, वळे मुख सूं करें गुणग्रांम ए। त्यांने जय विजय करने वधाय ए, घणी विडदावलीयां बोलाय ए।।
९. विनों करनें कहें छे ताहि ए, म्हांमें वेला पडी छे आय ए।
कोइ अपथ पथियों आय ए, म्हांने जुझकर दीया भगाय ए॥
१०. म्हारा सुभटां रो कीयों विणास ए, तिणसूं अट आया म्हें न्हास ए।
इसरी म्हारी तो सक्त न काय ए, जुझ कर इणनें देवां भगाय ए।।
११. तिणसूं कीयो तेलादिक आंण ए, आपरों ध्यान कीधों जांण ए।
तिणसूं स्वयमेव आया आप ए, मेटों म्हारों सोग संताप ए॥
१२. इणनें हणों थे सनमुख जाय ए, ज्यूं ओं आघो न सकें आय ए।
जुझ कर इणनें देवों भगाय ए, तो ज्यूं मानें सुख थाय ए॥