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भरत चरित
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१९. बारह योजन तक उसकी रश्मियों के उद्योत का प्रभाव रहता है। वे रश्मियां घटती नहीं अपितु बढ़ती रहती है।
२०. उसकी प्रभा-क्रांति ऐसी है कि तीनों ही काल में अंधेरे का समूह उससे विनष्ट हो जाता है।
२१. जहां सेना का पड़ाव होता है वहां वह दिन के समान तीव्र प्रकाश करता है। रात में भी वहां दिन के समान जगमग ज्योति हो जाती है।
२२. उसके तेज के प्रभाव से भरत नरेश सारी सेना सहित तामस गुफा में प्रवेश करते हैं।
२३. उस पार के आधे भरतक्षेत्र को जीतने के लिए भरतजी ने काकिणी रत्न को अपने हाथ में लिया। उसके अधिष्ठायक एक हजार देवता भी साथ हो गए।
२४. जिसके पास ऐसा रत्न होता है उसके पुण्य अथाह जानें। भरत नरेंद्र उसके अधिपति हैं यह उनका सौभाग्य है।
२५. तामस गुफा के दोनों ओर पूर्व और पश्चिम में दीवार पर एक-एक योजन के अंतराल से सुघड़ गोलाकार मंडल बनाते हैं।
२६. वे मंडल पांच सौ धनुष प्रमाण लंबे-चौड़े हैं। एक-एक योजन तक वे तीव्र उद्योत-प्रकाश करते हैं।
२७. रथ के पहिये तथा पूर्ण चंद्रमा के संस्थान वाले काकिणीरत्न के मंडल का प्रकाश चंद्रमा के समान है।
२८. एक-एक योजन के अंतराल से तामस गुफा में दांए-बांए दीवार पर मंडल करते-करते आगे बढ़ रहे हैं।
२९. मंडलों का आलेखन करते-करते उनकी सर्व संख्या उनपचास हो गई। वे मंडल आलेखन के तत्काल बाद सूर्य सरीखा प्रकाश कर रहे हैं।