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दुहा १. वेताढ उला दोय खंड साझीया, हिवें जाणों वेताढ ने पार।
तिणरों मारग छे तामस गुफा मझे, तिणरा आडा जड्या छे कमाड।।
२. जब भारत नरिद तिण अवसरें, कहें सेनापती में बुलाय।
तमस गुफा ना दिखण दुवार नें, खोल सताब सूं जाय।।
३. कमाड उघाडी नें म्हारी आगना, पाछी वेगी सूपजे आय।
सेनापती हरखत हूवों, सुण भरत राजा री वाय।।
४. सेन्यापती तिहां थी नीकल्यों, आयो निज आवास रे मांहि।
तेलों कर तीन पोसा कीया, पोषधशाला में आय।।
५. तीन दिन पूरा हूआं, ध्यान ध्याय रह्यों मन माहि।
एकाग्रचित्त तेह सूं, करें चिंतवणा ताहि।।
६. तीन
सिनांन
दिन पूरा हुवां, गयों मंजण घर माहि। मरदन दोनूं कीया, पछे पेंहस्या आभूषण ताहि।।
७. धूपणों फूल गंध माला फूल री, च्यारूंइ लीधा हाथ।
मंजण घर थी नीकल्यों, तिणरें कुण कुण हुवा , साथ।।
ढाळ : ३४ (लय : पुन रा फल जोयजों)
पुन रा फल जोयजो॥ १. तमस गुफाना दुवार उघाडवा रे, सेन्यापती चाल्यों तिण वार।
घणा राजा इसर तलवर मांडबी रे, इत्यादिक बहु चाल्या लार रे।।