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रिपुः - शत्रु ।
हस्तः- हाथ । ' मालिन्यम् - मलीनता । विक्रीय - बेचकर |
क्रीणासि - तू खरीदता है । आलोकयति - वह देखता है।
चेत्-यदि ।
वा-अथवा ।
शब्द
- पसन्द है 1
केशः - केश । रोचते - माषवटी - कचौरी | क्रीणति - वह ख़रीदता है । क्रीणामि - ख़रीदता हूँ ।
वाक्य
1. मालिन्यं वरं नास्ति-मलिनता अच्छी नहीं है।
2. तस्य केशाः अतीव कृष्णाः सन्ति- उसके बाल बहुत काले हैं । 3. यदि रोचते तर्हि गृहाण - अगर पसन्द हैं तो ले ।
कृष्णः - काला ।
मा- नहीं ।
विलोकयति - वह देखता है।
4. न रोचते चेत् मा कुरु - यदि पसन्द नहीं है (तो) न कर ।
5. किं क्रीणासि पुष्पं फलं वा- क्या खरीदते हो फूल या फल ?
6. न अहम् इदानीं पुष्पं क्रीणामि नापि फलम् - न मैं अब फूल खरीदता हूँ न
ही फल ।
7. तर्हि किमर्थम् अत्र मार्गे तिष्ठसि - तो तू क्यों यहाँ मार्ग में ठहरता है ? 8. मम मित्रम् इदानीम् अत्र आगमिष्यति - मेरा मित्र अब यहाँ आएगा । 9. सः किम् आनेष्यति - वह क्या लाएगा ?
10. सः इदानीं माषवटीः भक्षणार्थम् आनेष्यति - व - वह अब खाने के लिए कचौरी
1. प्रथमा 2. द्वितीया
3. तृतीया
लाएगा।
11. सः दुग्धं विक्रीय आगच्छति - वह दूध बेचकर आता है ।
दकारान्त पुल्लिंग ' तद्' शब्द
सः
तम्
तेन
वह
उसको
उसने
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'चेत्' शब्द वाक्य के पश्चात् आता है, परन्तु उसका भाषा में अर्थ पहले लिखा जाता है, तथा 'तो' शब्द संस्कृत में न बोला हुआ भी भाषा में अर्थ से बोला जाता है।