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करपट्टिका-रोटी, फुलका। कुण्डलिनी-जलेबी। क्वथिका-कढ़ी। गृहामि-लेता हूँ। गृह्णाति-वह लेता है। नवनीतम्-मक्खन। दुग्धम्-दूध। गृहाण-ले। लिख-लिख।
तक्रम्-छाछ, लस्सी। दधि-दही। व्यञ्जनम्-सब्जी, भाजी, तरकारी गृहासि-तू लेता है। दैवम्-भाग्य। घृतम्-घी। सूपम्-दाल। वद-बोल, कह। दुर्दैवम्-दुर्भाग्य, आफ़त।
वाक्य
1. मह्यम् इदानीम् एव करपट्टिकां देहि-मुझे अभी रोटी दे। 2. त्वं प्रातः तक्रं पिबसि किम्-क्या तू सवेरे लस्सी पीता है ? 3. सः प्रातः कुण्डलिनी भक्षयति-वह प्रातः जलेबी खाता है। 4. मह्यं क्वथिकां ददासि किम्-मुझे कढ़ी देता है क्या ? 5. सः भक्षणार्थं व्यञ्जनम् इच्छति-वह खाने के लिए सब्जी चाहता है। 6. एतत् नवनीतं गृहाण-यह मक्खन ले। 7. घृतं तत्र किमर्थं नयसि ? वद-घी वहाँ किसलिए ले जाता है ? बता। 8. अहं भक्षणार्थं घृतं दधिं न नयामि-मैं खाने के लिए घी और दही ले जाता हूँ। 9. यदि त्वं सूपम् इच्छसि तर्हि गृहाण-अगर तू दाल चाहता है तो ले। 10. सः बहु व्यञ्जनं भक्षयति, तत् न वरम्-वह बहुत सब्जी खाता है, यह अच्छा
नहीं। 11. वद, त्वं कुत्र गच्छसि-बोल, तू कहाँ जाता है ?
पूर्व पाठों में ऋकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप बनाने का प्रकार दिया है। कई ऋकारान्त शब्दों के रूप भिन्न भी होते हैं। विशेष भिन्नता नहीं होती, केवल एक रूप में भेद होता है
ऋकारान्त पुल्लिंग 'पितृ' शब्द 1. प्रथमा पिता
पिता 2. द्वितीया
पिता को
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पितरम्