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________________ 7. सः गृहं रक्षति किम्-वह घर की रक्षा करता है क्या ? 8. अथ किम् ! सः न केवल गृह रक्षति-और क्या ! वह न केवल घर की रक्षा करता है। 9. परन्तु उद्यानम् अपि वरं रक्षति-परंतु बाग की भी अच्छी तरह रक्षा करता है। 10. सः तथा न रक्षति यथा देवप्रियः-वह वैसी रक्षा नहीं करता जैसी देवप्रिय करता 11. देवप्रियः अतीव बालः अस्ति-देवप्रिय अत्यन्त बालक (छोटा) है। 12. परन्तु भद्रसेनः युवा अस्ति-परन्तु भद्रसेन जवान है। 13. अतः सः प्रातः काले सुष्टु धावति-इस कारण वह प्रायः अच्छा दौड़ता है। 14. अहं पश्यामि, देवदत्तः खनति इति-मैं देखता हूँ कि देवदत्त खोदता है। 15. देवदत्तः कूपं खनति-देवदत्त कुआँ खोदता है। 16. पश्य इदानीं सः तत्र कथं खनति-देख, अब वह वहाँ कैसे खोदता है। 17. सः जलपानर्थं कूपं खनति-वह पानी पीने के लिए कुआँ खोदता है। पूर्व पाठ में ऋकारान्त पुल्लिंग शब्दों को चलाने का प्रकार बताया गया है। इस पाठ में दुबारा ऋकारान्त पुल्लिंग शब्दों का रूप बताते हैं। __ऋकारान्त पुल्लिंग ‘पालयितृ' शब्द 1. प्रथमा पालयिता रक्षक 2. द्वितीया पालयितारम् रक्षक को 3. तृतीया पालयित्रा (रक्षक के द्वारा) 4. चतुर्थी पालयित्रे रक्षक के लिए, को 5. पञ्चमी पालयितुः रक्षक से 6. षष्ठी रक्षक का 7. सप्तमी पालयितरि रक्षक में, पर सम्बोधन (हे) पालयितः हे रक्षक ऋकारान्त पुल्लिंग शब्द अत्तृ-खानेवाला। ज्ञात-जाननेवाला। विज्ञातृ-जाननेवाला। अध्येतृ-पढ़नेवाला। निहन्तृ-हनन करनेवाला। विक्रेत-बेचनेवाला। क्रेतृ-खरीदनेवाला। अवज्ञातृ-अपमान करनेवाला। भर्तु-पोषण करनेवाला, पति। . भेतृ-भेद करनेवाला। हर्तु-हरण करनेवाला। चोरयितृ-चोरी करनेवाला। " 52
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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