SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 5. त्वं तथा धावसि किम्, यथा अहं धावामि-क्या तू वैसे दौड़ता है जैसे मैं दौड़ता 6. त्वम् अपि तथा न लिखसि यथा विष्णुशर्मा लिखति-तू भी वैसा नहीं लिखता जैसा विष्णुशर्मा लिखता है। 7. यदा त्वं पठसि तदा अहं क्रीडामि-जब तू पढ़ता है तब मैं खेलता हूँ। 8. सः कन्दुकेन वरं क्रीडति-वह गेंद से अच्छा खेलता है। 9. यदा सः कन्दुकेन क्रीडति तदा सः धावति-जब वह गेंद से खेलता है, तब वह दौड़ता है। 10. यदा सः धावति तदा अहं हसामि-जब वह दौड़ता है, तब मैं हँसता हूँ। 11. मह्यम् आनं देहि-मुझे आम दें। 12. किम् अद्य त्वम् आनं भक्षयिष्यसि-क्या तू आज आम खाएगा ? 13. अद्य किम् अस्ति-आज क्या है ? 14. अद्य उष्णं दिनम् अस्ति अतः आम्र न भक्षय-आज गर्म दिन है इसलिए आम न खा। 15. तर्हि शीतं दुग्धं देहि-तो ठंडा दूध दे। 16. स्वीकुरु, अत्र शीतं मिष्टं च दुग्धम् अस्ति-ले, यहाँ ठंडा और मीठा दूध है। शब्द खनति-(वह) खोदता है। खनामि-खोदता हूँ। रक्षसि-तू रक्षा करता है। भूमिम्-ज़मीन को। गाम्-गाय को। स्वकीया-अपनी। कूपम्-कूएँ को। खनसि-(तू) खोदता है। रक्षति-वह रक्षा करता है। रक्षामि-मैं रक्षा करता हूँ। व्यर्थम्-व्यर्थ। गानम्-गाना। परकीया-दूसरे की। नर्तनम्-नाचना। वाक्य 1. तस्य पिता अतीव वृद्धः अस्ति-उसका पिता बहुत बूढ़ा है। 2. परन्तु तस्य भ्राता युवा अस्ति-परन्तु उसका भाई जवान है। 3. सः भूमिम् अद्य किमर्थं खनति-वह भूमि को आज किसलिए खोदता है ? 4. सः अद्य व्यर्थं खनति-वह आज व्यर्थ खोदता है। 5. सः स्वकीयां भूमिं रक्षति न वा-वह अपनी भूमि की रक्षा करता है या नहीं ? 6. सः स्वकीयां गाम् आनयति-वह अपनी गाय को लाता है।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy