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11. भंस् (अवस्रंसने) = गिरना-भ्रंसते, भ्रंसिष्यते, अभ्रंसत्। 12. भ्राज् (दीप्तौ) = प्रकाशना-भाजते, भ्राजिष्यते, अभ्राजत। 13. मुद् (मोद्) (हर्षे) = खुश होना-मोदते, मोदिष्यते, अमोदत। 14. यत् (प्रयत्ने) = प्रयत्न करना-यतते, यतिष्यते, अयतत। 15. रभ् (राभस्य) = प्रारम्भ करना-रभते, रप्स्यते, अरभत। 16. रम् (क्रीडायाम्) = रममाण होना-रमते, रंस्यते, अरमत। 17. राथ् (सामर्थ्य) = समर्थ होना-राघते, राघिष्यते, अराघत। 18. लभ् (प्राप्तौ) = मिलना-लभते, लप्स्यते, अलभत। 19. लोक् (दर्शने) = देखना-लोकते, लोकिष्यते, अलोकत।
वाक्य
1. तौ बाधेते।
वे दोनों बाधा डालते हैं। 2. ते सर्वे लोकन्ते।
वे सब देखते हैं। 3. ईदृशं युद्धं लभते।
इस प्रकार का युद्ध प्राप्त करता है। 4. रामः सीतया सह रमते। राम सीता के साथ रममाण होता है। 5. तौ यतेते।
वे दोनों प्रयत्न करते हैं। 6. ते प्रा-रभन्ते।
वे सब प्रारंभ करते हैं। 7. सूर्य आकाशे भ्राजते।
सूर्य आकाश में प्रकाशता है। 8. तौ यती भिक्षेते।
वे दो यती भीख मांगते हैं। 9. स तत्र अभिक्षत।
उसने वहां भीख मांगी। 10. तौ अयतेताम्।
उन दोनों ने यत्न किया। 11. ते तत्र अभासन्त।
वे वहां प्रकाशे थे। पाठक इस प्रकार सब धातुओं के रूप बनाकर वाक्य बनाने का प्रयल करें।
धातु-प्रथम गण, आत्मनेपद 1. वन्द् (अभिवादने) = नमन करना-वन्दते। वन्दिष्यते। अवन्दत। 2. वर्च् (दीप्तौ) = प्रकाशना-वर्चते। वर्चिष्यते। अवर्चत। 3. वर्ष (स्नेहने) = वर्षते। वर्षिष्यते, अवर्षत। 4. वाह् (प्रयत्ने) = प्रयत्न करना-वाहते। वाहिष्यते। अवाहत। 5. वृत् (वर्तने) = होना-वर्तते। वर्तिष्यते, वय॑ते। अवर्तत। (इस धातु के
__ भविष्यकाल में दो रूप होंगे। एक 'इ' के साथ
और दूसरा 'इ' के बिना) 6. वृध् (वृद्धौ) = बढ़ना-वर्धते। वर्धिष्यते, वय॑ते। अवर्धत ।
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