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दोनों रूप होते हैं। 'एध्' धातु में 'इ' लगती है। ‘पच्' में नहीं लगती, परन्तु 'त्र' के दोनों रूप होते हैं। पाठक धातुओं के रूपों को देखकर इसका भेद जान सकते हैं।
धातु। प्रथम गण। आत्मनेपद। 1. त्र (त्रा) (पालने) = रक्षण करना-त्रायते, त्रायसे, त्राये। त्रास्यते, त्रास्यसे,
त्रास्ये। 2. त्वर (संश्रमे) = जल्दी करना-त्वरते, त्वरसे, त्वरे। त्वरिष्यते, त्वरिष्यसे,
त्वरिष्ये। 3. दद् (दाने) = देना-ददते, ददसे, ददे। ददिष्यते, ददिष्यसे, ददिष्ये। 4. दध् (धारणे) = धारण करना-दधते, दधसे, दधे। दधिष्यते, दधिष्यसे,
दधिष्ये। 5. दय् (दानगति रक्षणहिंसादानेषु) = दान, गति रक्षण, हिंसा, स्वीकार
करना-दयते, दयसे, दये। दयिष्यसे, दयिष्ये। 6. दीक्ष् (नियमव्रतादिषु) = नियम व्रत आदि पालना-दीक्षते, दीक्षसे, दीक्षे।
दीक्षिष्यते, दीक्षिष्यसे, दीक्षिष्ये। 7. देव (देवने) = खेलना-देवते। देविष्यते। 8. घुत् (द्योत्) (दीप्तौ) = प्रकाशना-द्युत् (द्योत्), द्योतते, द्योतिष्यते। 9. ध्वंस् (अवस्रंसने) = नाश होना-ध्वंसते। ध्वंसिष्यते। 10. नय् (गतौ) = जाना-नयते, नयिष्यते। 11. पञ्च् (व्यक्ती करणे) = स्पष्ट करना-पञ्चते। पञ्चिष्यते।
पाठ 46
प्रथम गण। आत्मनेपद। पण-व्यवहारे (व्यवहार करना)
वर्तमान काल
पणते पणसे पणे
पणेते पणेथे पणावहे
पणन्ते पणध्वे पणामहे