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शब्द-पुल्लिंग प्रबोधः = ज्ञान, जागृति। प्रकाशः = उजाला। सचिवः = मन्त्री। महाभागः = महाशय। सौरभः = सुगन्ध । वत्सरः = वर्ष, साल। प्रधानः = मुख्य (मन्त्री)। महीपतिः, भूपालः = राजा। सार्वभौमः = सम्राट्, राजाधिराज। अञ्जलिः = हाथ। अञ्जलिबधः = हाथ जोड़ना। अंशः = हिस्सा।
स्त्रीलिंग निःसारता = ख़ुश्की, सार न होना। निःश्रीकता = निःसारता।
नपुंसकलिंग कृत = करनेवाला। रूपक = अलंकार । विभव = धन-दौलत। सदन = घर। विश्वमण्डल = जगन्मण्डल। द्वार = दरवाज़ा। तत्त्व = सार। अन्तर = मन । प्रयाण = प्रवास।
विशेषण सहज = साथ उत्पन्न हुआ (स्वाभाविक)। वर्तिन् = रहनेवाला। मन्वान = माननेवाला। प्रतिश्रुतवत् = प्रतिज्ञा करनेवाला, वचन देनेवाला। नियोज्य = सेवक। सरल = सीधा। इतर = अन्य। भद्रमुख = श्रेष्ठ, प्रियदर्शी। प्रत्यावृत्त = लौटा हुआ। मृत = मरा हुआ। संवृत्त = हुआ हुआ। निश्चेतन = अचेतन, जड़। अपक्रान्त = अलग हुआ हुआ। विच्छिन्न = टूटा हुआ। बहु = बहुत। आक्रान्त = व्याप्त। निकृष्ट = नीच। अनुपयुक्त = निरुपयोगी। प्रतिनिवृत्त = वापस आया हुआ। विकल = शिथिल। सुव्यवस्थित = ठीक-ठीक। उन्नत = उठा हुआ।
क्रिया विश्वसिति = विश्वास करता है। स्निह्यति = स्नेह करता है। मन्यन्ते = मानते हैं। उपगच्छेयुः = पास आएंगे। उपक्रम्य = आरम्भ करके। पालयति = पालन करता है। आकर्ण्य = सुनकर । वर्तेरन् = रहेंगे। अधिचिक्षिपुः = नीचा मानने लगे। उपाक्रसत = प्रारम्भ किया। श्रूयताम् = सुनिए। प्रतिष्ठितः = चल पड़ा। पप्रच्छ = पूछा। प्रायात् = चला। निर्णीयताम् = निश्चय कीजिए। पर्यटय = घूमकर । उपयुज्यते = उपयोग किया जाता है।