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अ+अ = आ+अ = इ+इ = ई
आ आ
अ+आ आ+आ
= =
आ आ
+
उ+उ = ऊ
ऊ+उ = ऊ उ+ऊ = ऊ
ऊ+ऊ = ऊ ऋ+ऋ = ऋ
इनके उदाहरण नीचे दिए हैं, उनको देखने से उक्त नियम ठीक प्रकार से समझ में आ जाएगा।
[अ] वसिष्ठ+आश्रमः = वसिष्ठाश्रमः = अ+आ = आ रमा+आनन्दः = रमानन्दः = आ+आ = आ दिव्य+अरुणः = दिव्यारुणः = अ+अ = आ देवता+अंशः = देवतांशः = आ+अ = आ
इन उदाहरणों में पहले दो शब्द दिए हैं, फिर उनकी सन्धि रूप दिया है, तत्पश्चात् कौन-से स्वर मिलने से कौन-सा स्वर बना है, यह बताया है। इसी प्रकार अन्य स्वरों के उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं
कवि+इष्टम् = कवीष्टम् = इ+इ = ई नदी+इच्छा = नदीच्छा = ई+इ = ई कवि+ईश्वरः = कवीश्वरः = इ+ई = ई लक्ष्मी+ईश्वरः = लक्ष्मीश्वरः = ई+ई = ई
[उ]
भानु+उदयः = भानूदयः = उ+उ = ऊ चमू+ऊर्मिः = चमूर्मिः = ऊ+ऊ = ऊ वधू+उच्छिष्टम् = वधूच्छिष्टम् = ऊ+उ = ऊ सूनु ऊरुः = सूनूरुः = उ+ऊ = ऊ ऋकार की सन्धि प्रचलित नहीं है, इसलिए नहीं दी जा रही।
पाठक इस सन्धि-नियम को ठीक से स्मरण रखें क्योंकि यह नियम बहुत उपयोगी है। अब नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं, उनको याद कीजिए