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र + [आ + म् + ए] न् + अ = रामेन = रामेण। इस शब्द में र और न के मध्य में 'आ + म् + ए' ये तीन वर्ण आए हैं। इस प्रकार अन्य शब्दों के विषय में भी जानना चाहिए।
क् + ऋ + ष् + [ण] + ए + न् + अ = कृष्णेन। इस शब्द में षकार और नकार के बीच में 'ण' आने से नकार का णकार नहीं हुआ, क्योंकि जो वर्ण बीच में होने पर भी णकार बनता है, उन वर्गों में 'ण' की गणना नहीं हुई है। इसी कारण 'मत्येन' शब्द में नकार का णकार नहीं होता है, देखिए
म् + र् + [त्] + य्ए + न् + अ = मर्येन-इसमें तकार बीच में है, और उसके होने से नकार का णकार नहीं बनता।
ये नियम अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।
वाक्य
1. मृगः अरण्ये मृतः = हिरण वन में मर गया। 2. बालकेन क्रीड़ा त्यक्ता = बालक ने खेल छोड़ा। 3. मनुष्येण नगरं दृष्टम् = मनुष्य ने शहर देखा। 4. जनैः रामस्य चरित्रं श्रुतम् = लोगों ने राम का चरित्र सुना। 5. बालकैः दुग्धं पीतम् = बालकों ने दूध पिया। 6. सर्पण मूषकः हतः = सांप ने चूहा मारा। 7. मनुष्यैः द्रव्यम् लब्धम् = मनुष्यों ने धन प्राप्त किया। 8. पुष्पैः शरीरं भूषितम् = फूलों से शरीर सजा। 9. आचार्यैः पुस्तकं पाठितम् = अध्यापकों ने पुस्तक को पढ़ाया। 10. वृक्षेभ्यः फलानि पतितानि = वृक्षों से फल गिरे। 11. मया इष्टं फलं प्राप्तम् = मैंने मनचाहा फल प्राप्त किया। 12. स ब्राह्मणेभ्यः दक्षिणां ददाति = वह ब्राह्मणों के लिए दक्षिणा देता है। 13. विश्वामित्रः अयोध्याम् आगतः = विश्वामित्र अयोध्या आ गया। 14. सूर्यः अस्तं गतः = सूर्य अस्त हो गया। 15. दुःखेन हृदयं भिन्नम् = दुःख से हृदय फट गया। 16. आकाशे चन्द्रः उदितः = आकाश में चन्द्र उदय हुआ।
इन वाक्यों में जो शब्द आये हैं, उनके अर्थ हिन्दी के वाक्यों से जाने जा सकते हैं।