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पाठ 2
शब्द-पुल्लिंग मूषकः = चूहा। काकः = कौवा। शावकः = बच्चा, लड़का। नीवारकणः = धान का कण, सूजी का दाना। मार्जारः = बिडाल, बिल्ला। कुक्कुरः = कुत्ता। व्याघ्रः = शेर। महर्षिः = बड़ा ऋषि। क्रोडः = गोद, छाती।
नपुंसकलिंग तपोवनम् = तप करने का स्थान। स्वरूपम् = अपना रूप। स्वरूपाख्यानम् = अपने रूप का आख्यान। आख्यानम् = कथा, चरित्र। संनिधानम् = समीप।
विशेषण भ्रष्ट = गिरा हुआ। अकीर्तिकर = बदनामी करनेवाला। दृष्ट = देखा हुआ। वर्धित = पाला, बढ़ाया हुआ। सव्यथम् = दुःख के साथ।
क्रियापद धावति = दौड़ता है। विवेश = घुस गया था। संवर्धित = पाला हुआ। वर्धिता = पाली, बढ़ाई। पलायते = भागता है। वदन्ति = बोलते हैं। पलायिष्यते = भागेगा। भव = हो, बन जा। बिभेषि = डरता है(तू)। प्रविवेश = घुस गया। बिभेति = डरता है (वह)। आलोकयति = देखता है (वह)। बिभेमि = डरता हूँ (मैं)। आलोकयामि = देखता हूँ (मैं)।
धातु साधित खादितुम् = खाने के लिए। आलोक्य = देखकर । दृष्ट्वा = देखकर । जीवितव्यम् = जीने योग्य (विशेषण) जीना चाहिए।
(क्रियापद) स्त्रीलिंग कीर्तिः = यश, नाम। व्याघ्रता = शेरपन। अकीर्तिः = बदनामी।
इतर (अलिंग अथवा अव्यय) 141 पश्चात् = पीछे से। इदम् = यह। यावत् = जब तक। द्रुतम् = सत्वर या