________________
"
4. रामाय
रामेभ्यः 5. रामात्
रामाभ्याम् 6. रामस्य
रामयोः
रामाणाम् 7. रामे
रामेषु सम्बोधन के रूप पाठक पूर्ववत् बना सकेंगे। इस शब्द में तृतीया का एकवचन 'रामेण' तथा षष्ठी का बहुवचन 'रामाणाम्' इन दो रूपों में नकार के स्थान पर णकार हुआ है। इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों के रूप होते हैं
पुरुष, नृप, नर, रामस्वरूप, सर्प, कर, रुद्र, इन्द्र, व्याघ्र, गर्भ इत्यादि।
परन्तु कई ऐसे शब्द हैं जिनमें 'र' अथवा 'ष' आने पर भी नकार का णकार नहीं बनता। जैसे
कृष्णेन। कृष्णानाम्। कर्दमेन। कर्दमानाम्। नर्तनेन। नर्तनानाम्। इस विषय में नियम ये हैं
नियम 2-जिस शब्द में 'र' अथवा 'ष' हो, और उसके बाद 'न' आए, तो उस 'न' का 'ण' बन जाता है, जैसे
कृष्ण, तृष्णा, विष्णु इत्यादि शब्दों में षकार के बाद नकार आने से नकार का णकार बन गया है।
(सूचना-पदान्त के नकार का णकार नहीं बनता, जैसे रामान् करान् इत्यादि का।)
नियम 3-'र' अथवा 'ष' और 'न' के बीच में कोई स्वर, ह, य, व, र, कवर्ग, पवर्ग, अनुस्वार इन वर्गों में से एक अथवा अनेक वर्ण आने पर भी नकार का णकार हो जाता है। जैसे
रामेण, पुरुषेण, नरेण इत्यादि शब्दों में इस नियम के अनुसार नकार का णकार बना है।
इन दो नियमों को और अधिक स्पष्ट करने के लिए नीचे पढ़िये
'र' के पश्चात् 'न' आने से 'न' का 'ण' बन जाता है। ___ 'ष' के पश्चात् 'न' आने से 'न' का 'ण' बन जाता है। 'र' । । के बीच में नीचे दिये वर्ण आने पर भी । अ आ इ ई उ ऊ ऋ
'न' का अथवा लु ए ऐ ओ औ अं
'ण' बन 'ष' ह य व र
जाता क ख ग घ ङ | 12 JI
प फ ब भ म
तथा
है।