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4. सः सर्वदा उद्यानं गच्छति-वह सदा बाग को जाता है। 5. किं त्वं सदा आपणं गच्छसि-क्या तू हमेशा वाज़ार जाता है ? 6. अहं सदैव नगरं गच्छामि-मैं हमेशा नगर को जाता हूं। 7. यदा त्वं ग्रामं गच्छसि-जब तू गांव को जाता है। 8. तदाऽहं उद्यानं गच्छामि-तब मैं बाग को जाता हूं। 9. सः नगरं गच्छति किम्-वह नगर को जाता है क्या ? 10. सः सर्वदा ग्रामं गच्छति-वह सदा गांव को जाता है। 11. किं त्वम् उद्यानं गच्छसि-क्या तू बाग को जाता है ? . 12. अहं सदैव उद्यानं गच्छामि-मैं सदा ही बाग को जाता हूं। 13. त्वं कुत्र गच्छसि-तू कहां जाता है ? 14. त्वं कदा गच्छसि-तू कब जाता है ? 15. सः सदैव गच्छति-वह हमेशा ही जाता है।
पूर्वोक्त प्रकार से इन वाक्यों को भी जोर से बोलकर दस-दस बार उच्चारण करना चाहिए। तत्पश्चात् संस्कृत वाक्य की ओर देखकर (हिन्दी के वाक्य को देखते हुए) उसको हिन्दी का वाक्य बनाना चाहिए। तदनन्तर हिन्दी का वाक्य देखकर उसको संस्कृत वाक्य बनाना चाहिए। इस प्रकार करने से पाठक स्वयं कई नये वाक्य बना सकते हैं। अब कुछ निषेध के वाक्य बताते हैं
1. अहं गृहं न गच्छामि-मैं घर नहीं जाता हूँ। 2. सः ग्रामं न गच्छति-वह गाँव को नहीं जाता है। ' 3. त्वं पाठशाला न गच्छसि किम्-तू पाठशाला को नहीं जाता है क्या ? 4. सः उद्यानं किं न गच्छति-क्या वह बाग को नहीं जाता ? 5. किं सः ग्रामं न गच्छति-क्या वह गाँव को नहीं जाता ? . 6. किं त्वम् आपणं न गच्छसि-क्या तू बाज़ार नहीं जाता ? 7. तत्र त्वं किं न गच्छसि-वहाँ तू क्यों नहीं जाता ? 8. यदा सः ग्रामं न गच्छति-जब वह गाँव को नहीं जाता। 9. कः सदा उद्यानं न गच्छति-कौन हमेशा बाग़ को नहीं जाता ? 10. सं. उद्यानं सर्वदा न गच्छति-वह बाग को हमेशा नहीं जाता। 11. त्वं तत्र किं न गच्छसि-तू वहाँ क्यों नहीं जाता ?. 12. सः तत्र सदैव न गच्छति-वह वहाँ हमेशा ही नहीं जाता। इसी प्रकार पाठक स्वयं वाक्य बना सकते हैं।