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पाठ 35
शब्द
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मुखम् - मुँह | नेत्रम् - आँख । कर्णः - कान । दन्तः - दाँत । हस्तः - हाथ । पादः - पाँव । नासिका - नाक । हृदयम् - हृदय । उदरम् - पेट । पृष्ठम् - पीठ । अङ्गुली- अंगुली । शिखा - चोटी |
वाक्य
1. पश्य, नवीनचन्द्रस्य मुखं कथम् अतीव मलिनम् अस्ति - देख, नवीनचन्द्र का मुँह क्यों इतना मलिन है ?
2. सः इदानीं मुखेन फलं भक्षयितुं न शक्नोति - वह अब मुँह से फल नहीं खा
सकता।
3. अहं कर्णाभ्यां तव अतीव मधुरं भाषणं शृणोमि - मैं कान से तेरा बहुत मीठा भाषण सुनता हूँ ।
4. मार्गे तस्य हस्तात् पुस्तकं पतितम् - मार्ग में उसके हाथ से पुस्तक गिर पड़ी । 5. मार्गे पतितं तत् पुस्तकं श्रीधरेण गृहीतम् - मार्ग में गिरी हुई उस पुस्तक को श्रीधर ने ले लिया ।
6. सः शूरपुरुषः इदानीं युद्धे पतितः - वह वीर पुरुष अब लड़ाई में गिर पड़ा (मर गया)।
7. तस्य मलिनहस्तात् कुण्डलिनीं न गृहाण - उसके मलिन हाथ से जलेबी न लो ।
शब्द
नेत्राभ्याम् - दोनों आँखों से । कर्णाभ्याम् - दोनों कानों से । हस्ताभ्याम् - दोनों हाथों से । पद्भ्याम् - दोनों पाँवों से । नासिकया - नाक से । दन्तैः - दाँतों से । आरोहति - चढ़ता है । विश्वम् - संसार, सब। सुगन्धम् - खुशबू । शठः - ठग । वाणी - भाषण । विष - ज़हर ।
वाक्य
1. अहं नेत्राभ्यां विश्वं पश्यामि - मैं (दोनों) आँखों से संसार को देखता हूँ । 2. सः कर्णाभ्यां श्रोतुं न शक्नोति - वह (दोनों) कानों से सुन नहीं सकता। 3. त्वं नासिकया सुगन्धं गृहासि किम्-क्या तू नाक से सुगन्ध लेता है ? 4. मनुष्यः पद्भ्यां धावति - मनुष्य (दोनों) पाँवों से दौड़ता है।
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