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________________ 5. जनः दन्तैः फलम् अत्ति-मनुष्य दाँतों से फल खाता है। 6. वानरः हस्ताभ्यां पादाभ्यां च वृक्षम् आरोहति-बन्दर (दोनों) हाथों तथा (दोनों) पाँवों से वृक्ष पर चढ़ता है। 7. वानरः रात्रौ वक्षस्य उपरि स्वपिति-बन्दर रात्रि में वृक्ष के ऊपर सोता है। 8. शठस्य मुखे मधुरा वाणी तथा हृदये विषं भवति-ठग के मुँह में मीठे शब्द तथा __हृदय में विष होता है। 9. पश्य, वानरस्य मुखं कथं कृष्णम् अस्ति-देख, बन्दर का मुँह कैसा काला है। शब्द इह-यहाँ, इस लोक में। अमुत्र-परलोक में। संसारः-संसार, दुनिया। जगति-जगत् में। राष्ट्रः-राष्ट्र, क़ौम। प्रसन्नः-आनन्दित। भिन्नः-अलग। आत्मा-आत्मा, जीव। पक्वम्-पका हुआ। बीजम्-बीज। वाक्य 1. इह मनुष्यः दिने दिने' अन्नं भक्षयति-यहाँ मनुष्य प्रतिदिन अन्न खाता है। 2. नगरे नगरे जनः क्रीडां करोति-हर शहर में मनुष्य खेलता है। 3. ग्रामे ग्रामे उद्यानं भवति-प्रत्येक गाँव में बाग होता है। 4. शरीरे शरीरे आत्मा भिन्नः-हर शरीर में आत्मा अलग है। 5. वृक्षे वृक्षे फलं पक्वम् अस्ति-हर वृक्ष पर फल पका है। 6. राष्ट्रे राष्ट्रे राजा भवति-हर राष्ट्र में राजा होता है। 7. सायं सायं जलम् आगच्छति-प्रति सायंकाल जल आता है। 8. मार्गे मार्गे रथः धावति-हर मार्ग में रथ दौड़ता है। 9. पुस्तके पुस्तके आलेख्यं भवति-हर पुस्तक में चित्र होता है। 10. फले फले बीजं भवति-हर फल में बीज होता है। 11. कूपे कूपे जलं भवति-हर कुएं में जल होता है। 12. वने वने वृक्षः भवति-हर वन में वृक्ष होता है। इकारान्त नपुंसकलिंग 'वारि' शब्द 1. प्रथमा वारि जल 2. द्वितीया जल को 3. तृतीया वारिणा जल ने वारि 116 1. संस्कृत में शब्दों का दुबारा उच्चारण करने से 'प्रत्येक' अर्थ हो जाता है।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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